बस्तर

पानी के बिना मानव जीवन की परिकल्पना नहीं की जा सकती- डॉ. नेताम
26-Oct-2021 9:58 PM
पानी के बिना मानव जीवन की परिकल्पना नहीं की जा सकती- डॉ. नेताम

कृषि महाविद्यालय में भू-जल संबंधित प्रशिक्षण एवं सार्वजनिक विचार विमर्श कार्यक्रम

जगदलपुर, 26 अक्टूबर। भू-जल संबंधित तृतीय स्तर प्रशिक्षण एवं सार्वजनिक विचार विमर्श का आयोजन सोमवार को शहीद गुंडाधूर कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र तथा केन्द्रीय भूमिजल बोर्ड, रायपुर (भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय, जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण विभाग) के संयुक्त तत्वावधान में किया गया।

इस अवसर पर केन्द्रीय भूमि जल बोर्ड, उत्तर मध्य छत्तीसगढ़ क्षेत्र के क्षेत्रीय निदेशक डॉ. प्रदीप नायक ने अपने संबोधन में कृषकों, छात्र छात्राओं तथा उपस्थित प्रशिक्षणार्थियों को छत्तीसगढ़ में भू जल स्तर की स्थिति एवं बस्तर क्षेत्र की भू जल स्थिति को विस्तारपूर्वक बताया।
डॉ. नायक ने पूर्व की तुलना में वर्तमान स्थिति में भूजल का दोहन अधिक होने की बात कही तथा लगातर भूजल दोहन की दर बढऩे पर आने वाले समय में जल संकट एक बहुत बड़ी समस्या के रूप में होगी कहकर कार्यक्रम में ध्यानाकर्षण किया तथा सभी प्रशिक्षणार्थियों से जल संरक्षण के विधियों को अमल में लाने की अपील की।

 कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. आर एस नेताम ने कहा कि पीने योग्य पानी के बिना मानव जीवन की परिकल्पना नहीं की जा सकती, भूमिगत जल को व्यर्थ न गवांयें तथा वर्षा जल को संरक्षण करने की सलाह दी। डॉ नेताम ने आने वाले समय में घटते हुये जलस्तर पर चिंता व्यक्त की तथा जलसंरक्षण जागरूकता अभियान में सभी को अपना योगदान सुनिश्चित करने की सलाह दी।

 कार्यक्रम में उपस्थित उद्यानिकी महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. एके ठाकुर ने जल संरक्षण के साथ साथ सिंचाई के विकल्पों के विभिन्न विधियों को प्रशिक्षण के दौरान बताया। डॉ. ठाकुर ने सिंचाई के दौरान पानी का समुचित उपयोग करने की सलाह दी एवं उन्नत सिंचाई की विधियों जैसे स्प्रिंकलर, ड्रिप इत्यादि का अधिक से अधिक प्रयोग में लाने की सलाह दी।

मृदा वैज्ञानिक डॉ. टी पी चंद्राकर ने मृदा जल संरक्षण की विधियों को विस्तारपूर्वक बताया तथा मृदा जल संरक्षण के तकनीक को अपनाकर खेती करने से हमारी खेती करने से हमारी खेती कैसे टिकाऊ खेती होगी विषय पर अपना विचार प्रस्तुत किया। केन्द्रीय भूमिजल बोर्ड के वैज्ञानिक डॉ. अजय कुमार सिन्हा ने भू-भौतिकीय तकनीक तथा भूजल स्तर अन्वेषण विषय पर अपना व्याख्यान दिया तथा भू-भौतिकीय प्रतिरोधकता अन्वेषण की वैज्ञानिक विधि का प्रदर्शन कर जानकारी दी।

इस अवसर पर महाविद्यालय के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. मनीष सिंह, डॉ. एच के पात्र, डॉ. एन सी मण्डावी, डॉ. पी के सलाम, डॉ. जे एल सलाम, डॉ एम एल कुर्रे, डॉ. डी एस महिपाल, डॉ. पद्माक्षी ठाकुर, डॉ यशवंत निराला, डॉ आशीष केरकेट्टा, पी एस नेताम, अनुराग केरकेट्टा, महाविद्यालय के कर्मचारीगण तथा बड़ी संख्या में कृषक छात्र-छात्रायें उपस्थित थे तथा ऑनलाइन माध्यम से बड़ी संख्या में छात्र-छात्रायें तथा अधिकारीगण प्रशिक्षण कार्यक्रम में जुड़े हुये थे। प्रशिक्षण कार्यक्रम में मंच का संचालन वैज्ञानिक विकास रामटेके ने किया।    

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