दुर्ग
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
उतई, 27 अक्टूबर। पांच सूत्रीय मांगों को लेकर सहकारी समितियों के कर्मचारी फिर लामबंद हो रहे हैं। उन्होंने संभागायुक्त, कलेक्टर व जिला सहकारी बैंक अध्यक्ष को मामले में ज्ञापन सौंपकर कई महीनों से वेतन व सुविधाएं नहीं मिलने की बात को लेकर नाराजगी जताते हुए 8 नवंबर से असहयोग आंदोलन करने की चेतावनी दी है।
ज्ञापन सौंपने वालों में शामिल विमल वर्मा, जागेश्वर साहू, संतराम साहू, गजेंद्र देशमुख, यशवंत साहू, रामरतन बंजारे, कोमल पांडे आदि का कहना है कि सहकारिता आंदोलन व मंडियों के पुनर्गठन से किसानों की सुविधाएं बढ़ी है परंतु समितियों की आर्थिक स्थिति दयनीय हो गई है। उन्होंने कहा कि 24 एवं 26 जुलाई को आंदोलन के दौरान मंत्रिमंडलीय उपसमिति के आश्वासन पश्चात उन्होंने आंदोलन स्थगित कर दिया था। मगर 3 माह बीत जाने के बाद भी कर्मचारी व समिति हित में अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। 30- 40 वर्षों से बहुत कम वेतन में कार्य कर रहे प्रदेश के प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों में कार्यरत समिति कर्मचारियों को कई महीनों से वेतन व सुविधाएं अप्राप्त है, जिसकी मुख्य वजह समर्थन मूल्य में धान खरीदी करने पर समय में उपार्जित धान का परिवहन नहीं हो पाने के कारण सुखत की भरपाई समिति के कमीशन से काटा जा रहा है। इसी प्रकार समिति को विगत 3 वर्षों का ब्याज अनुदान की राशि अप्राप्त है।
खाद-बीज बिक्री कमीशन की प्राप्त राशि खाद परिवहन व बैंक ब्याज से भी आधा प्राप्त होना भी मुख्य वजह है। उनका कहना है कि छत्तीसगढ़ शासन की अति महत्वकांक्षी योजनाओं जैसे समर्थन मूल्य पर धान खरीदी, शून्य प्रतिशत पर कृषक सदस्यों को नगद व खाद बीज वितरण, राशन वितरण, गोधन न्याय योजना, राजीव गांधी किसान न्याय योजना इत्यादि कार्यों को प्रदेश के 2058 सहकारी समितियों में कार्यरत कर्मचारियों द्वारा सफलतापूर्वक क्रियान्वयन किया जा रहा है। ऐसा कर वे किसानों की निष्ठा पूर्वक सेवा कर रहे हैं फिर भी उनकी मांगों की ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।