कोरिया
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बैकुंठपुर (कोरिया), 14 नवंबर। दीपावली पर्व के बाद धूमधाम से बनाये जाने वाले एकादशी देवउठनी पर्व को लेकर बाजार पूरी तरह से सजे रहे और एकादशी के एक दिन पूर्व बाजारों में अच्छी चहल-पहल देखी गयी। लोग पूजा सामग्री व अन्य सामग्री खरीदी करते नजर आये, जिस कारण शहर के साप्ताहिक बाजार में ज्यादा भीड़ देखी गयी।
15 नवंबर को एकादशी का पर्व पूरे जिले में धूमधाम के साथ मनाया जाएगा। इस दिन भगवान विष्णु की विधि विधान के साथ पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन ब्रम्ह मुहूर्त में उठकर स्नान से निवृत होकर व्रत का संकल्प लेते हंै और दिन भर व्रत रखने के बाद शाम ढलने के बाद भगवान विष्णु की विधि विधान के साथ पूजा अर्चना की जाती हैं।
एकादशी के दिन रात्रि में भगवान विष्णु के शालिग्राम रूप के साथ माता तुलसी का विवाह संस्कार विधि विधान के साथ पूरा किया जाता है। इसके लिए उसी तरह से सभी कार्य को किये जाते हैं, जिस तरह से किसी विवाह कार्यक्रम में किया जाता है। विवाह के लिए गन्ने का मण्डप तैयार किया जाता है कि विधि विधान के साथ तुलसी विवाह संपन्न कराया जाता है।
एकादशी के पर्व को जिले के ग्रामीण अंचलों प्रत्येक परिवारों के द्वारा धूमधाम के साथ मनाया जाता है और इस दिन नये अनाज का पकवान तैयार किया जाता है। एकादशी पर्व को छोटी दीपावली के रूप में लोगों के द्वारा मनाया जाता है। एकादशी पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष के एकादशी तिथि को मनाया जाता है।
शुभ कार्यों की शुरूआत
एकादशी को देवउठनी पर्व के रूप में मनाया जाता है। इस दिन तुलसी विवाह संपन्न किया जाता है। मान्यता के अनुसार इसी दिन भगवान विष्णु अपनी अपने कई माह के निद्रा के बाद जागते हैं, जिसे देवउठनी एकादशी भी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना के बाद सभी तरह के शुभ व मंगल कार्यों की शुरूआत हो जाती है। देवउठनी एकादशी के बाद अब विवाह कार्यक्रम, गृह प्रवेश,मुंडन संस्कार सहित अन्य सभी तरह के शुभ कार्यो की शुरूआत हो जाती है।