बीजापुर
सातवें दिन रिहा होकर लौटे सब इंजीनियर ने बताई आपबीती
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बीजापुर, 18 नवंबर। छह दिनों तक नक्सलियों के पास बंधक रहे सब इंजीनियर को हर रात कल सुबह छोड़ देंगे बोला जाता और सुबह होते ही ऊपर से मैसेज नहीं आया कहकर तारीख बढ़ा दी जाती। जब छठवें दिन ऊपर से रिहा करने का संदेश आ गया, तब सब इंजीनियर को राहत और सुकून देने वाली खबर सुनाई गई और उन्हें सातवें दिन जन अदालत लगाकर रिहा कर दिया गया।
नक्सलियों के चंगुल से सकुशल वापस लौटे प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ योजना के सब इंजीनियर अजय रौशन लकड़ा ने चर्चा करते हुए बताया कि नक्सली हर दिन ठिकाना बदलते हुए उन्हें एक गांव से दूसरे गांव ले जाते थे। उनके साथ हर वक्त 10 से 12 तीर धनुष लिए नक्सली हुआ करते थे। रात होती तो उन्हें डर सताने लगता और फिर पौ फटते ही दूसरे गांव जाने की तैयारी होती।
उन्होंने बताया कि उन्हें जब एक गांव से दूसरे ले जाया जाता तो उन्हें उस गांव के कैडर को सौंप दिया जाता था। रात होने पर उनकी निगरानी में तैनात नक्सली उन्हें हर दिन दिलासा देते की तुम्हें कल छोड़ दिया जाएगा। लेकिन सुबह होते ही ऊपर मैसेज भेजने की बात कहकर तारीख आगे बढ़ा दी जाती। ऐसे करते पांच दिन बीत गए और जब छठवें दिन सब इंजीनियर को छोडऩे का फरमान आ गया, तब सातवें दिन यानी बुधवार को बीजापुर के जंगलों में नक्सलियों ने जन अदालत लगाकर स्थानीय मीडियाकर्मियों की मौजूदगी में उनकी पत्नी अर्पिता को उन्हें सौंप दिया गया।
सब इंजीनियर लकड़ा ने बताया कि इस बीच छह दिनों में नक्सली किसी भी तरह का उन्हें कोई नुकसान नहीं पहुंचाए।
डंडा बना सहारा
शारीरिक रूप से दिव्यांग सब इंजीनियर अजय रौशन लकड़ा को जब नक्सली अपने कब्जे रखकर जंगल-जंगल घुमा रहे थे। तब ऐसे में उनके लिए डंडा सहारा बना और उसी डंडे को लेकर वे छह दिनों तक एक गांव से दूसरे गांव चला करते थे। सातवें दिन जब वह छूटकर आये तब भी उन्होंने डंडा लिया हुआ था।