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सरगुजा के गोठानों में मुर्गीपालन से महिलाएं हो रहीं आत्मनिर्भर
28-Nov-2021 11:18 PM
सरगुजा के गोठानों में मुर्गीपालन से महिलाएं हो रहीं आत्मनिर्भर

कुपोषित बच्चों, गर्भवती महिलाओं और शिशुवती माताओं को उबला अंडा देकर हो रहा सेहत सुधार

सरगुजा कलेक्टर की पहल से शुरू हुई थ्री टियर केज विधि से मुर्गीपालन

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

अंबिकापुर,28 नवम्बर। देश में सर्वाधिक अंडे देने वाली प्रजातियों में से एक बीवी -300 प्रजाति का मुर्गीपालन सरगुजा जिले के सात गोठानों में किया जा रहा है। यहां 250-250 मुर्गियों का पालन समूह से जुड़ी महिलाओं द्वारा आधुनिक विधि थ्री टियर केज से किया जा रहा है।

एक मुर्गी प्रतिवर्ष औसतन 320 अंडे देती है। इसकी बिक्री महिला बाल विकास को करके समूह की महिलाएं आय अर्जित कर रही हैं, वहीं आंगनबाडिय़ों के माध्यम से कुपोषित बच्चों, गर्भवती महिलाओं और शिशुवती माताओं को उबला अंडा देकर उनकी सेहत में सुधार किया जा रहा है। इस नवाचार से आर्थिक स्वावलंबन के साथ सुपोषण को भी बढ़ावा मिल रहा है। मनरेगा के तहत मुर्गी शेड का निर्माण कराया गया है।

दरअसल जिला खनिज न्यास (डीएमएफ)से कुपोषण को दूर करने की योजना चल रही है। खुले बाजार से अंडा खरीदने के बजाय गोठानों से अंडा उत्पादन को बढ़ावा देकर महिला समूहों को इससे जोड़ उनकी आय में वृद्धि की योजना कलेक्टर संजीव झा ने आरंभ कराई।

पशु चिकित्सक डॉ. सीके मिश्रा के नेतृत्व में व्यंकटेश्वर हेचरी पुणे से मुर्गियां लाई गई। अंबिकापुर ब्लॉक के सोहगा, मेण्ड्राकला, लखनपुर के पुहपुटरा, उदयपुर के सरगंवा, बतौली के मंगारी, मैनपाट के उड़मकेला और लुंड्रा ब्लाक के बटवाही में मुर्गीपालन कर समूह की महिलाएं आय अर्जित कर रही हंै। अब गोठानों का अंडा ही महिला बाल विकास द्वारा क्रय किया जा रहा है।

एक गोठान में प्रतिमाह  63 सौ अंडे का उत्पादन

गोठानों को मल्टीएक्टिविटी सेंटर के रूप में विकसित करने चल रहे प्रयासों में मुर्गीपालन ने रोजगार की नई राह दिखाई है। अक्टूबर में औसतन 63 सौ अंडे का उत्पादन हुआ है। सात गोठान में यह आंकड़ा औसतन 44 हजार एक सौ अंडे का है।छह रुपये प्रति अंडा के दर से एक महीने में ही लगभग दो लाख 64 हजार रुपये का अंडा बेचा जा चुका है।

प्रयोग सफल अब सात और गोठान में मुर्गीपालन

मुर्गीपालन का प्रयोग सरगुजा के गोठानों में सफल हुआ है। इसकी खपत की भी कोई चिंता नहीं है। वाजिब दाम भी मिल रहा है, इसलिये सात और गोठानों में मुर्गीपालन की तैयारी की जा रही है। शुरुआती दौर में मुर्गियों के आहार और दवा की व्यवस्था डीएमएफ से होगी ताकि महिला समूहों पर आर्थिक बोझ न पड़े।

गोठानों में मुर्गीपालन का प्रयोग सफल रहा है-झा

सरगुजा कलेक्टर संजीव कुमार झा ने बताया कि समूह की महिलाओं को आय उपार्जक गतिविधियों से जोडऩे गोठानों में मुर्गीपालन का प्रयोग सफल रहा है। अब इस योजना का विस्तार करेंगे। अंडा उत्पादन को बढ़ावा मिला है। सुपोषण को बढ़ावा देने के लिए उत्पादित अंडों को उबालकर आंगनबाड़ी के माध्यम से बच्चों, महिलाओं को भी दिया जा रहा है।

आय अर्जित करने का सशक्त माध्यम है-डॉ. मिश्रा

पशु चिकित्सक सरगुजा सीके मिश्रा ने बताया कि देश में बीवी-300 प्रजाति की मुर्गी सर्वाधिक अंडे देती है। एक मुर्गी वर्ष में कम से कम 320 अंडे देती है। अत्याधुनिक तकनीक से मुर्गीपालन आय अर्जित करने का सशक्त माध्यम है।

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