बीजापुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बीजापुर, 29 नवंबर। जोगी कांग्रेस छत्तीसगढ़ के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी सिलगेर पहुंचे। यहां सात माह से आंदोलनरत मूलवासी मंच के ग्रामीणों से मिलकर चर्चा की, अमित जोगी ने सिलगेर के लोगों को न्याय दिलाने की बात की है। साथ ही कहा कि उनकी पार्टी के विधायक विधानसभा में इस पर काम रोको प्रस्ताव लाएंगे।
उन्होंने कहा कि सात महीने से सिलगेर में ग्रामीण न्याय की गुहार लगा रहे हैं, लेकिन राज्य की भूपेश सरकार का इस ओर ध्यान नहीं है। उप्र के लखीमपुर की घटना में प्रदेश के मुख्यमंत्री जा सकते हंै तो सिलगेर क्यों नहीं आ रहे।
अपने राज्य के लोगों का दु:ख दर्द सुने। अमित जोगी ने कहा कि ग्राम सभा को मजबूत बनायें और ग्राम सभा के माध्यम से प्रस्ताव बनाकर ग्राम विकास का खाका तैयार करें। ग्रामसभा में पारित प्रस्ताव ही मान्य है। केंद्र सरकार व राज्य सरकार के प्रस्ताव से भी ज्यादा महत्वपूर्ण है, ग्रामसभा। अमित जोगी ने यह भी कहा कि पांचवीं अनुसूची के तहत ग्रामसभा में प्रस्ताव पारित कर कैंप को हटायें।
बगैर प्रस्ताव के केंद्र व राज्य सरकार अनुसूचित क्षेत्रों में कोई काम नहीं कर सकती है। पत्रकारों से चर्चा में अध्यक्ष अमित जोगी ने कहा कि हम चाहते हैं कि सिलगेर की घटना में मारे गये परिवार को एक-एक करोड़ मुआवजा, घायलों को पचास-पचास लाख, दस एकड़ भूमि और परिवार के सदस्य को नौकरी सरकार दें।
जोगी कांग्रेस के मुखिया अमित जोगी का कहना है कि सिलगेर सुकमा जिले का गांव है, बीजापुर पुलिस द्वारा कार्रवाई करना ये न्याय संगत नहीं है। मामला सुकमा जिले का होते हुये बीजापुर प्रशासन की एकतरफा कार्रवाई समझ से परे है।
अध्यक्ष अमित जोगी का कहना है कि बस्तर में निर्दोष आदिवासियों पर कार्रवाई करना पुलिस बंद करें। पुलिस ग्रामीणों को नक्सली बताकर जेल में बंद करने पर आमादा है। जो निर्दोष आदिवासी जेल में बंद हैं, उनकी रिहाई करें?। पेशा कानून की वकालत करते हुये कहा कि प्रदेश में यह कानून लागू होना चाहिए, तभी आदिवासियों को न्याय मिलेगा।
अमित जोगी ने कहा कि क्षेत्र के विकास का खाका ग्रामसभा में तैयार करें। ग्रामीण ग्राम सभा में जो प्रस्ताव पारित करेंगे, उसे सरकार को मानने के लिए बाध्य होना पड़ेगा। सांसद, विधायक, सऱपंच के प्रस्ताव से भी ज्यादा महत्वपूर्ण है ग्रामसभा।
सिलगेरवासियों की मांग-चौड़ी सडक़ नहीं चाहिए। गांव से सीआरपीएफ कैंप हटाया जाये। निर्दोष आदिवासियों को जेल से रिहा किया जाए। गांव के पढऩे वाले बच्चों को नक्सली बताकर जेल भेजना बंद न करें। गांव के जल जंगल जमीन के हक को न छीना जाये। गांव में खेती बाड़ी करने वाले को तंग करना बंद करें।
इस दौरान जिलाध्यक्ष सकनी चंद्रैया, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष जमूना सकनी, अमित पांडेय, नवनीत चांद, टंकेश्वर भारद्वाज, सुजीत कर्मा, गुड्डू कोरसा व रोशन झाड़ी मौजूद रहे।