धमतरी
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
नगरी, 20 जनवरी। वरिष्ठ पत्रकार किशन मगेन्द्र के ज्येष्ठ सुपुत्र हरेन्द्र पुत्रवधू पूनम एवं छोटे सुपुत्र कुमेन्द्र पुत्रवधू डॉली को वैवाहिक बंधन में बंधने पर नवदंपति को आशीर्वाद देने उपाध्यक्ष मध्य क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण एवं सिहावा विधायक डॉ.लक्ष्मी ध्रुव एवं प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य लखन लाल ध्रुव ग्राम अछोटा राजीव नगर स्थित निवास पहुंचे।
विधायक डॉ.ध्रुव ने नवदंपति को सुखद वैवाहिक जीवन की बधाई देते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए अपनी शुभकामनाएं प्रेषित किए। इस दौरान सिहावा विधायक ने छत्तीसगढ़ से चर्चा करते हुए प्रदेश की कांग्रेस सरकार के 3 साल के कार्यों की जमकर तारीफ की।
सिहावा विधायक ने प्रदेश सरकार के 3 साल के कार्यकाल को न्याय के तीन साल बताते हुए कहा कि प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल के कुशल नेतृत्व में छत्तीसगढ़ ने विकास और न्याय के नए प्रतिमान स्थापित किए हैं। अब देेेश में ही नहीं बल्कि दुनिया में इसकी चर्चा हो रही हैं। श्री बघेल ने अपने तीन साल के छोटे से कार्यकाल में विकास के अपने छत्तीसगढिय़ा मॉडल के जरिए राज्य को नई ऊंचाईयां दी हैं।
सत्ता संभालते ही सीएम ने लोहांडीगुड़ा में आदिवासियों की जमीनें लौटाई और राजीव गांधी किसान न्याय योजना के साथ न्याय फैलाने की शुरुआत की गई। किसानों का बकाया 9 हजार 270 करोड़ का कृषि ऋण माफ किया गया। इससे 17 लाख 82 हजार किसानों को सीधा फायदा हुआ।17 लाख से अधिक किसानों का 244 करोड़ 18 लाख का सिंचाई कर भी माफ किया गया। 5 लाख से ज्यादा किसानों को मुफ्त और रियायती बिजली देकर सालाना 900 करोड़ की राहत दी गई। इसके साथ ही राज्य की सबसे बड़ी फसल धान के किसानों को 25 सौ रुपए प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य देने का फैसला लिया। इससे किसानों की आय बढ़ती गई और किसान समृद्ध होने की दिशा में लागतार कदम आगे बढ़ा रहे हैं।
प्रदेश सरकार द्वारा पशुुुुधन संरक्षण एवं संवर्धन के लिए गोधन न्याय योजना की शुरूआत की गई। इस योजना के माध्यम से 2 रूपये प्रति किलो की दर गोबर खरीदी की जा रही है। गोधन न्याय योजना के कारण गांव की महिलाओं तथा भूमिहीन मजदूरों को रोजगार का जरिया मिला है जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिली है।
विधायक ने आगे बताया कि राजीव गांधी ग्रामीण कृषि मजदूर न्याय योजना के तहत ऐसे ग्रामीण मजदूर परिवार जिनके पास खेती की जमीन नहीं है और वे मनरेगा अथवा कृषि मजदूरी से जुड़े हैं तो उन्हें प्रतिवर्ष 6000 रुपए दिए जाने का फैसला राज्य सरकार ने किया है। योजना से 10 लाख से अधिक परिवारों को लाभान्वित करने का लक्ष्य रखा गया है।
आदिवासियों के अधिकार की बात करें तो वनोपज खरीदी में न्याय करना एक बड़ी चुनौती थी। छत्तीसगढ़ में कोरोना संकट के बावजूद पिछले 3 सालों से वनोपज की रिकॉर्ड खरीदी की गई। कोरोना संकट काल के दौरान वनोपज संग्रहण का सबसे ज्यादा पारिश्रमिक देने वाला राज्य छत्तीसगढ़ रहा है। मुख्यमंत्री श्री बघेल ने ना केवल खरीदे जाने वाले में वनोपजों की संख्या 7 से बढ़ाकर 52 की बल्कि तेंदूपत्ता संग्रहण की दर 2500 से बढ़ाकर 4000 कर दी।