महासमुन्द
तीन दिन बाद पकड़ाया, जंगल सफारी में होगा इलाज
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 27 जनवरी। बागबाहरा स्थित चंडी माता मंदिर में आरती के समय रोजाना आकर प्रसाद खाने वाले भालू को तीर नुमा नुकीला पदार्थ से कमर के नीचे चोट लग गई है। भालू के शरीर में तीरनुमा नुकीला पदार्थ उसके शरीर में समाचार लिखते तक फंसा हुआ है। वह बुरी तरह जख्मी हालत में पिंजरे में बंद है और पशु चिकित्सक उसके उपचार में लगे हुए हैं।
तीन दिनों की मशक्कत के बाद यह भालू वन विभाग की टीम की पकड़ में आया है। भालू को वन विभाग की टीम जंगल सफारी ले जाने की तैयारी कर रहे हैं ताकि इसे अच्छी चिकित्सा मिल सके।
जानकारी के मुताबिक यह भालू पिछले तीन दिनों से दर्द से तड़प रहा था। किसी तरह वन विभाग की टीम ने परसों मंगलवार को रेस्क्यू किया। वन विभाग के अधिकारी का कहना है कि भालू के शरीर में तीर आकार की कोई नुकीली लकड़ी फंसी हुई है। वन विभाग का कहना है कि भालू को जंगल सफारी ले जाकर वहीं उसका उपचार किया जाएगा। उपचार के दौरान पता चलेगा कि भालू के ऊपर शिकार के लिए हमला किया गया है या फिर या फिर कोई लकड़ी चुभ गई है।
मालूम हो कि बागबहारा स्थित चंडी माता मंदिर में प्रसाद खाने भालुओं का झुंड रोजाना शाम को आता है। उनको देखकर श्रद्धालुगण रोमांचित हो जाते हैं। इनको जामवंत का स्वरूप मानकर अनेक श्रद्धालु नारियल, बिस्किट आदि खिलाते हैं। हिंसक वन्य प्राणी भालू से लोगों को बचाने वन विभाग ने दोनों ही देवी मंदिरों में तार जाली से सुरक्षा घेरा बना रखा है। इसी घेरे के भीतर भालू विचरण कर श्रद्धालुओं द्वारा दिए जाने वाले प्रसाद को बड़े चाव से खाते हैं।
तीन दिन पहले इन भालुओं के झुंड में से 11 वर्षीय भालू के कमर के नीचे तीर नुमा नुकीला पदार्थ चुभ गया। वन विभाग के अधिकारियों को इसकी जानकारी तत्काल मिली और एक टीम घायल भालू को पकडऩे के लिए तीन दिनों तक कोशिश करती रही।