कवर्धा

आदिवासियों को मछली से अचार-पापड़ बनाने सहित रखरखाव की दी जानकारी
21-Mar-2022 4:47 PM
आदिवासियों को मछली से अचार-पापड़ बनाने सहित रखरखाव की दी जानकारी

मत्स्य प्रसंस्करण एवं मूल्यवर्धित उत्पाद बनाने सहप्रतिपादन पर प्रशिक्षण

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बोड़ला, 21 मार्च।
विकासखंड के ग्राम पंचायत चिमरा में मत्स्य प्रसंस्करण एवं मूल्यवर्धित उत्पाद बनाने  सह प्रतिपादन पर जिले में समाज सेवा के क्षेत्र में काम करने वाली संस्था समर्थ चैरिटेबल ट्रस्ट के द्वारा एक दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन किया गया।
प्रशिक्षण में  मुख्य अतिथि  पशु चिकित्सा विज्ञान एवं पशुपालन महाविद्यालय अंजोरा दुर्ग के प्राध्यापक एवं विभागाध्यक्ष डॉ. के मुखर्जी, विशिष्ट अतिथि पंकज मिश्रा भारतीय ग्रामीण आजीविका फाउंडेशन तथा अध्यक्षता डॉ. बी के दत्ता अधिष्ठाता मत्स्य महाविद्यालय कवर्धा ने की।

समर्थ चैरिटेबल ट्रस्ट के  पंकज मिश्रा व लक्ष्मण मेरावी ने बताया कि शासन द्वारा अनुसूचित जनजाति उपयोजना के द्वारा जंगल में रहने वाले बैगा आदिवासियों वनवासी लोगों को प्रशिक्षण के माध्यम से मछली के उत्पाद जैसे मछली अचार, मछली पापड़, मछली चकली आदि बनाने, रखरखाव और मछली में उपस्थित विभिन्न पोषक तत्व एवं उनके महत्व को विशेष रूप से बताया गया।

प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान प्रशिक्षणार्थियों को जो कि बोड़ला विकासखंड के वनांचल के ग्राम रानी दहरा चोर भट्टी बैराख नवा टोला नेवरा टोला आदि गांव के लोगों व कबीरधाम जिले के सहायता समूह के 40 किसान एवं महिला संस्था को मछली के मूल्य वर्धित उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण दिया गया। डॉक्टर के मुखर्जी ने प्रशिक्षण के दौरान प्रशिक्षणार्थियों को मछली के मूल्यवर्धित उत्पादों का दैनिक जीवन में महत्व से मिलने वाले पोषक तत्वों के बारे में जानकारी दी। जी के दस्ताने प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्धन की छत्तीसगढ़ में अपार संभावना के बारे में वनवासियों स्वयं सहायता समूह के लोगों को बताते हुए मछली के मूल्य संवर्धन का किसानों की आय बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की बात कही गई।

प्रशिक्षण कार्यक्रम के अन्य विशिष्ट अतिथियों ने प्रशिक्षण से किसानों को होने वाले लाभ के बारे में विस्तार से बताया। बोड़ला विकासखंड के ग्राम चिमरा में दाऊ वासुदेव चंद्राकर कामधेनु विश्वविद्यालय अंजोरा दुर्ग छत्तीसगढ़ के अंतर्गत संचालित प्रदेश के एकमात्र मत्स्य महाविद्यालय चिमरा में अनुसूचित जनजाति के महिला पुरुषों के अलावा स्वयं सहायता समूह के लोगों को प्रशिक्षण प्रदान किया गया।
 

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