कवर्धा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बोड़ला, 11 अप्रैल। ग्राम पंचायत कटगो में तालाब रिटेनिंग वॉल निर्माण में सरपंच हीरा बाई पटेल के द्वारा भारी अनियमितता बरतने कि शिकायत ग्रामीणों ने सीईओ जिला व जनपद पंचायत से किया है।
ग्राम पंचायत कटगो के ग्रामीणों में लालाराम, मनीराम, अजय नेताम ,जगे लाल व नीरे लाल सहित बड़ी संख्या में ग्रामीणों 8 अप्रैल को जिला पंचायत जाकर लिखित में शिकायत दर्ज कराई है। ग्रामीणों ने शिकायत में बताया है कि उनके ग्राम के तालाब में रिटेनिंग वॉल निर्माण करीब 17 से 18 लाख रुपए की लागत से की जा रही है। जिसकी बेस स्टीमेट के आधार पर 1 मीटर की गहराई व 1 मीटर की चौड़ाई है, लेकिन सरपंच हीराबाई पटेल व उनके लोगों ने भारी अनियमितता बरते हुए रिटेनिंग वॉल की बेस को 2 फिट गहरी और 2 फीट चौड़ी खुदाई किए हैं। जिसका निर्माण कार्य पिछले सोमवार से शुरू हो गया है । ग्रामीणों ने बताया सरपंच की मनमानी के चलते निरमा कार्य की गुणवत्ता पूरी तरह से ध्वस्त हो गई है। साथ ही सरकार की मोटी रकम से बनने वाली रिटेनिंग वॉल भ्रष्टाचार का भेंट चढ गई।
ग्रामीणों ने सीईओ जिला पंचायत से कहा कि भविष्य में अगर इस तालाब में गहरीकरण का कार्य की जाएगी तो गहरीकरण करते ही रिटेनिंग वॉल भरभरा कर गिर जाएगा। ग्रामीणों ने सीईओ जिला पंचायत से कहा कि वे स्वयं निरीक्षण कर सत्यता जान लें और सरपंच सचिव से गुणवत्ता युक्त रिटेनिंग वॉल निर्माण के लिए निर्देश करें।
ग्रामीणों ने कहा पिछले 6 दिनों से मनरेगा के कर्मचारी व अधिकारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं। उसके बावजूद सरपंच द्वारा मनमानी ढंग से काम करते हुए एकाधिकार जताकर कार्य शुरू कर दिया है। जबकि अधिकारी कर्मचारी के हड़ताल में जाने से मनरेगा संबंधित कोई भी कार्य नहीं किए जा रहे हैं। यह बात सभी सरकारी महकमे को पता है पर किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया।
मस्टररोल जारी हुए निर्माण कार्य प्रारंभ करना गलत है-पीओ
पीओ रमेश भास्कर का कहना है कि सरपंच ग्राम पंचायत कटगो द्वारा रिटेनिंग वॉल कार्य प्रारंभ करने की जानकारी मुझे नहीं है। यदि सरपंच द्वारा कार्य प्रारंभ कर दिया गया है, तो गलत है क्योंकि मनरेगा के सभी कर्मचारी अधिकारी 4 अप्रैल से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं। ऐसे में मस्टररोल जारी करना संभव नहीं है। इस तरह के कार्यों में मजदूरी भुगतान को लेकर दिक्कतें आ सकती है।
मनरेगा योजना पर ठेकेदारी का लगा है ग्रहण
मनरेगा योजना अंतर्गत जिला से लेकर ग्राम पंचायत स्तर में जितने भी काम हैं। सभी कार्यों में ठेकेदार बने जिला व जनपद के जनप्रतिनिधियों का पूरी तरह से कब्जा है। शपथ ग्रहण में लिए शपथ को भूलकर ये जनप्रतिनिधि कम ठेकेदार निर्माण कार्यों को ग्रहण लगा रहे हैं। खास तौर पर ग्राम पंचायत में 5 से 20 लाख तक के कार्यों को सरपंच द्वारा 7 से 10 फीसदी कमीशन में ठेकेदारों को दे दिया जाता है। पिछले तीन सालों में जिला और जनपद सदस्यों को ठेकेदारी का ऐसा भूत सवार है। जिसकी वजह से कार्यों की गुणवत्ता खत्म हो चुकी है, साथ ही ठेकेदारों की संख्या में भारी इजाफा भी हुआ है। काम पास कराने से लेकर निर्माण होते तक ठेकेदारों द्वारा अधिकारियों को पूरी तरह से सेटिंग कर वर्षों से काम चला रहे हैं।