सरगुजा
![परसा कोयला खदान को मंजूरी, साढ़े 8 सौ हेक्टेयर में होगी खुदाई परसा कोयला खदान को मंजूरी, साढ़े 8 सौ हेक्टेयर में होगी खुदाई](https://dailychhattisgarh.com/uploads/chhattisgarh_article/164986531230.jpg)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
अंबिकापुर,13 अप्रैल। सरगुजा जिला के उदयपुर विकास खण्ड में प्रस्तावित परसा कोयला खदान को छत्तीसगढ़ के वन विभाग से मंजूरी मिल गई है। यहां राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम कंपनी 841.538 हेक्टेयर वन भूमि पर कोयले की खुदाई करेगी। परसा कोल खदान परियोजना से कंपनी पांच लाख मीट्रिक टन प्रति वर्ष कोयला उत्खनन करेगी।
गौरतलब है कि इस परियोजना को लेकर प्रभावित गांव के सैकड़ों लोग समर्थन एवं विरोध में प्रदर्शन करते आए हैं। आखिरकार इस परियोजना को मंजूरी मिलने के बाद अब वहां क्या स्थिति होगी, यह आने वाला समय बताएगा। मंजूरी से कुछ लोगों के चेहरों पर मुस्कान आई है तो कुछ लोगों में विरोध के स्वर उठने लगे हैं।
अभी कुछ दिनों पहले राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत छत्तीसगढ़ आए थे और उन्होंने भूपेश सरकार से अपने राज्य के लिए कोयला की मांग की थी। कुछ जानकारों का मानना है कि राजस्थान सीएम के अनुरोध पर इसमें ज्यादा रुचि ली गई और कोल परियोजना स्वीकृत हो गई।
छत्तीसगढ़ वन विभाग ने सरगुजा और सूरजपुर जिलों में पडऩे वाले परसा कोल खदान के लिए वन भूमि के उपयोग की मंजूरी दे दी है। खुदाई शुरू करने से इस क्षेत्र में हजारों पेड़ों की कटाई करनी पड़ेगी।
वन विभाग ने इस मंजूरी के साथ 15 शर्तें भी जोड़ी हैं। इसके मुताबिक डायवर्ट किए गए क्षेत्र, प्रतिपूरक वनीकरण के तहत क्षेत्र, मिट्टी और नमी संरक्षण कार्यों, वन्यजीवों के संबंध में ई-ग्रीन वॉच पोर्टल पर डिजिटल मैप फाइल अपलोड करनी होगी। वन भूमि की कानूनी स्थिति नहीं बदलेगी। जंगल को हुए नुकसान के एवज में तीन साल के भीतर नये क्षेत्र में एक हजार प्रति हेक्टेयर की दर से नये पौधे लगाने होंगे। नोडल एजेंसी और खदान संचालक को भारतीय वन्य जीव संस्था, देहरादून की बायो डायवर्सिटी रिपोर्ट में दिए सुझावों पर अमल करना होगा। सेफ्टी जोन की सीमा निर्धारित करनी होगी। खनन की वजह से बाहर का कोई क्षेत्र प्रभावित हुआ तो वहां यथास्थिति बहाल करनी होगी।