दन्तेवाड़ा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
दंतेवाड़ा, 2 मई। बाल विवाह केवल एक सामाजिक बुराई ही नहीं अपितु कानूनन अपराध भी है। छत्तीसगढ़ राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग तथा महिला एवं बाल विकास विभाग के निर्देशानुसार 3 मई को पडऩे वाले ’अक्षय तृतीया’ के अवसर पर बाल विवाह होने की संभावना को देखते हुए प्रशासन को सजग रहने एवं बाल विवाह होने के संबंध में जानकारी प्राप्त होने पर पहले विवाह रोकने की समझाईश देने एवं न मानने पर कानूनी कार्यवाही कड़ाई से किये जाने संबंधी निर्देश दिये गये हैं।
बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के प्रावधानों के अनुसार, विवाह के पूर्व बालक एवं बालिका दोनों की विवाह की वैधानिक आयु पूर्ण होना आवश्यक है, जो कि उक्त अधिनियम के अनुसार 21 वर्ष से कम उम्र के लडक़े और 18 वर्ष से कम उम्र की लडक़ी के विवाह को प्रतिबंधित करता है। निर्धारित आयु के पूर्व विवाह होने पर ऐसे विवाह में शामिल माता-पिता, रिश्तेदार, पुरोहित सभी अपराधी माने जा सकते हैं तथा बाल विवाह करने और कराने वाले को 02 वर्ष तक के कठोर कारावास अथवा जुर्माना जो कि 01 लाख रुपये तक हो सकता है अथवा दोनों से दण्डित किया जा सकता है। समाज में व्याप्त इस बुराई (बालविवाह) के पूर्णता उन्मूलन हेतु जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में गठित कमेटी द्वारा, जनप्रतिनिधियों, नगरीय निकाय, पंचायती राज संस्थाओं के प्रतिनिधि, स्वयं सेवी संगठनों एवं आमजनों से सहयोग की अपील की जा रही है। बाल विवाह की सूचना सक्षम अधिकारियों को 9770758083, 9993787731, 7868696902 या टोल फ्री नंबर (चाइल्ड लाईन) 1098 पर देकर बाल विवाह की रोकथाम में मदद कर सकते हैं।