गरियाबंद
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 5 जुलाई। सोमवार को ग्राम कोपरा में आयोजित ग्राम सभा हंगामेदार रही। यहां पंचायत प्रतिनिधि ही आपस में उलझे रहे। समस्या और मांग लेकर पहुंचे ग्रामीणों की कोई समस्याएं नहीं सुनी। इससे नाराज ग्रामीणों ने पंचायत प्रतिनिधियों से सामूहिक इस्तीफे की मांग की है।
गौरतलब है कि पिछले गुरुवार को आयोजित ग्राम सभा के स्थगित होने के बाद सोमवार को दुबारा ग्राम सभा का आयोजन किया गया। इस सभा में पंच-सरपंचों के आपसी कलह में ग्रामीणों की एक भी मांग व समस्या को नहीं सुना जा सका। पंचायत का एक पक्ष का कहना है कि सरपंच के ऊपर पूर्व में हुए घटना के संबंध में कार्रवाई होनी चाहिए और पूर्व में किए गए कार्यों की राशि का आहरण किया जाना चाहिए। वहीं दूसरे पक्ष का कहना है कि कुछ पंच पंचायत बैठक में कोई भी प्रस्ताव पारित करने के लिए तैयार नहीं है।
ग्राम सभा में करारोपण अधिकारी रेखराम साहू ने ग्राम पंचायतों में होने वाली सभी ग्राम सभा के बारे में विस्तार से बताया। जिसके बाद ग्रामीणों की समस्या सुनने के बजाय पंचायत प्रतिनिधि अपने ही कलह में डूबे रहे और ग्राम सभा में खूब हंगामा हुआ। इस बीच बताया गया कि उपसरपंच राजेश यादव द्वारा बाजार शुल्क के 80 हजार को पंचायत के रोकड़ पंजी में चढ़ाए बगैर उक्त राशि को खर्च कर दिया गया। जिसका हिसाब ग्रामीणों व पंचों द्वारा मांगा गया। जिस पर उपसरपंच द्वारा निर्माण कार्य व मिष्ठान्न में खर्च बताया गया। जिस पर ग्राम सभा में उपस्थित करारोपण अधिकारी रेखराम साहू ने इसे नियम विरुद्ध बताया। वहीं लकड़ी बिक्री सहित पुराने राशि आहरण पर पंचायत प्रतिनिधि आपस में ही उलझे रहे और ग्राम सभा में कोई भी कार्य प्रस्तावित नहीं किया जा सका। जबकि ग्रामीण अपने विभिन्न मांग व समस्या लेकर पहुंचे हुए थे। वहीं बच्चों के आय जाति व मूल निवास प्रमाण बनवाने के लिए उनके पालकों को ग्राम सभा से बैरंग लौटना पड़ा। कुछ ग्रामीण नाली का गंदा पानी निस्तारी तालाब में जाने की शिकायत लेकर पहुंचे हुए थे।
ग्रामीणों का कहना है कि पंचायत प्रतिनिधियों के बीच आपसी सामंजस्य स्थापित नहीं होने पर गांव में विकास कार्य ठप पड़े होने के कारण सभी से सामूहिक इस्तीफे की मांग करने लगे।
इस ग्राम सभा के बाद जनपद उपाध्यक्ष योगेश साहू ने कहा कि इस पंचायत में पंच सरपंच के बीच आपसी समन्वय की स्थिति नहीं है। जिसका खामियाजा ग्रामीण भुगत रहे हैं। लंबे समय से पंचायत में कोई भी कार्य के लिए प्रस्ताव पारित नहीं होने से हितग्राहीमूलक कार्य रुका हुआ है। इन पंचायत प्रतिनिधियों को किसी तरह आपसी सामंजस्य स्थापित करना होगा।