कवर्धा

गौठान और सामुदायिक बाड़ी में और बेहतर काम करने की जरूरत-कलेक्टर
07-Jul-2022 4:01 PM
गौठान और सामुदायिक बाड़ी में और बेहतर काम करने की जरूरत-कलेक्टर

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कवर्धा, 7 जुलाई।
नवपदस्थ कलेक्टर जनमेजय महोबे ने कबीरधाम जिले के बैगा-आदिवासी बाहुल्य बोड़ला विकासखण्ड के सुदूर व दुर्गम पहाडिय़ों की बीच बसे ग्राम पंचायतों का सघन भ्रमण किया। उन्होंने सूदूर वनांचल ग्राम चिल्फी, झलमला बोदलपानी और खैरबना कला में संचालित गौठान विकास कार्यों का अवलोकन किया। कलेक्टर के साथ पुलिस अधीक्षक डॉ. लाल उमेंद सिंह और जिला पंचायत सीईओ श्री संदीप अग्रवाल ने भी संयुक्त रूप से दौरा किया। अवलोकन के दौरान कृषि उपसंचालक श्री एमडी डड़सेना, उद्यानिकी सहायक संचालक श्री आरएन पांडेय, जनपद सीईओ विशेष रूप से उपस्थित थे।

कलेक्टर श्री महोबे ने बोड़ला विकासखण्ड के वनांचल क्षेत्रों मे ंसंचालित गोठान विकास के कार्यों का अवलोकन एवं महिला स्वसहायता समूहों से चर्चा करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार की सबसे महत्वपूर्ण योजना में गौठान विकास कार्यक्रम शामिल है। सुराजी ग्राम योजना के अंतर्गत नरवा, गरवा, घुरवा, बारी कार्यक्रम शुरू किया गया है। इसका उद्देश्य ग्रामीण ग्रामीण अर्थव्यवस्था के परंपरागत संसाधनों को संरक्षित तथा पुनर्जीवित करते हुए गांवों को राज्य अर्थव्यवस्था के केन्द्र में लाना तथा पर्यावरण में सुधार करते हुए किसानों और ग्रामीणों की व्यक्तिगत आय में वृद्धि और उनके जीवन उत्थान के दिशा में सहयोग प्रदान करना है।

कलेक्टर ने गौठान का पूरा तभी मना जाएगा जब वहां गौठान विकास समिति का गठन हो, वहां मवेशियों की उपस्थिति हो, वहां गोबर की विधि खरीदी हो, वर्मी व सुपर कंपोस्ट खाद का निर्माण हो। मवेशियो के लिए छांव,पानी गौठान के रख रखाव के लिए तार फेंसिंग हों। इसके अलावा समूहों द्वारा नियमित जैविक खाद का निर्माण और विक्रय तथा समूहों के बैंक में लेन-देन की प्रक्रिया शुरू हो।

कलेक्टर ने कहा कि राज्य शासन की इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में वनांचल क्षेत्रों में विशेष ध्यान देने की जरूरत है। कलेक्टर ने जनपद पंचायत सीईओ और कृषि विभाग के उप संचालक को इस दिशा में आवश्यक दिशा निर्देश भी दिए। कलेक्टर ने चिल्फी में समूहों की मांग पर महिला स्वसहायता समूहों के आर्थिक विकास के लिए मिनी राईस मिल और आईल मिल के लिए संसाधन उपलब्ध कराने के लिए सैद्धांतिक सहमति दी। साथ ही समूहों वहां बकरी व मुर्गी पालन के लिए इच्छा भी जताई।
कलेक्टर ने इसके लिए जिला पंचायत सीईओ को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। कलेक्टर ने झलमला गोठान का निरीक्षण करते हुए वहां अजीविका के लिए संचालित विभिन्न कार्यक्रम वर्मी कंपोस्ट निर्माण, बकरी पालन, और सामुदायिक बाड़ी विकास कार्यों का अवलोकन किया।

यहां समूह की महिलाओं ने बताया कि यहां बाड़ी में बाजार के मांग और जगंली-जानवरों व बंदरों से बचाव की दृष्टि से हल्दी अदरक की खेती की जा रही है। चिल्फी की समूह ने बताया कि उन्हे वर्मी कंपोस्ट से 39 हजार रूपए और झलमला समूह को जैविक खाद निर्माण की बिक्री करने में 17 हजार रूपए की आमदनी हुई है। उनके खाते में पूरी पैसे भी जमा हो गए है। बोदलपानी गौठान में काम करने वाली समूह ने अपनी आर्थिक विकास के लिए बाजार के मांग के अनुरूप वहां मुर्गी व बकरी पालन की मांग की।
 

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