गरियाबंद
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 17 जुलाई। जिले में पिछले कुछ दिनों से अच्छी वर्षा हो रही है। इस वर्षा से किसानों के चेहरे खिल गए हैं और खेतों में धान की रोपाई में तेजी आ गई है। जिन किसानों के पास सिंचाई के साधन हैं, उन्होंने रोपा लगाने का काम शुरू कर दिया है। कहीं रिमझिम और कहीं तेज वर्षा के बाद खेती कार्य में तेजी आ गई है। जानकारी के मुताबिक कई जगह पर धान की 70 फीसद बोनी भी हो चुकी है। पर्याप्त पानी नहीं होने के कारण खेतों में रोपाई का काम शुरू नहीं हो पा रहा था। धान बोआई के बाद अब किसान धान की रोपाई भी करने लगे हैं। किसान खेती कामों के लिए एक माह पहले से जुटे हुए हैं।
रोपा लगाने की तैयारी में किसान
जून के दूसरे सप्ताह में थरहा दे चुके किसान अब रोपा लगा रहे है। मजदूर खेत में धान की जुड़ी बांध कर, खेत साफ कर रहे हैं। साधन संपन्न किसानों ने माह भर पहले ट्यूबेल से सिंचाई की। जबकि वर्षा पर निर्भर किसान अभी हो रही बारिश से सीधा बोआई कर रहे हैं। पखवाड़े भर बाद फसल बियासी करने लायक हो जाएगा। खेतिहर मजदूर व किसान परिवार खेतों की ओर रुख करने लगे हैं।
धान के रोपा लगाने का काम तेजी से चल रहा है। बोआई का कार्य क्षेत्र के 90 प्रतिशत किसानों ने कर लिया है। क्षेत्र के किसान रोपा लगाने से ज्यादा बोआई करते हैं। आधुनिकता के इस युग में आज भी अंचल के किसान पुरानी पद्घति से खेती कर रहे हैं और हाथों से रोपा लगवा रहे हैं। किसान रोपा लगाने से ज्यादा सीधे खेतों में धान की बीज डालकर भी बोआई कर रहे है। इस वर्ष किसानों को पिछले वर्ष की अपेक्षा सीमित बीमारी और मौसम के बदलाव नहीं होने की उम्मीद है। किसान खेती कार्य में लगन से जुटे हुए हैं।
मजदूर कर रहे ओवरटाइम
मजदूरों की कमी होने के कारण अब जो जरूरतमंद मजदूर है वे ओवरटाइम काम कर धान की रोपाई कर रहे हैं। बताया गया है कि सुबह 6 बजे से 9 बजे तक खेतों में जाकर धान की रोपाई कर घर लौट रहे हैं। उसके बाद फिर से दूसरे किसानों के खेतों में जाकर शाम 5 बजे तक खेती का काम कर किसानों को राहत दे रहे हंै। भविष्य में खेती करना किसानों के लिए कितना कठिन होगा यह उपरोक्त स्थिति को देखते हुए सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है। वर्तमान में धान की रोपाई करने वाली महिला मजदूरों को 150-200 रुपए प्रति दिन, ट्रैक्टर से कीचड़ करने के लिए 1 हजार से 1200 रुपए प्रति घंटे के हिसाब से मेहनताना दिया जा रहा है।