राजनांदगांव
खेल-शिक्षा और नक्सल उन्मूलन से बैगा युवा-बच्चे गढ़ रहे भविष्य
प्रदीप मेश्राम
राजनांदगांव, 25 जुलाई (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता)। कवर्धा के पठारी इलाके में बसे बैगा जनजाति समुदाय के युवा और बच्चों के लिए पुलिस का शिक्षा व खेल के साथ नक्सल उन्मूलन नई पीढ़ी की भविष्य गढ़ रहा है। तालीम और खेल के लगाव पैदा करने से कवर्धा पुलिस को नक्सल उन्मूलन में फायदा हुआ है। नक्सल-विचारधारा की तरफ जाने से युवाओं को रोकने पुलिस ने पढ़ाई और खेल को औजार के तौर पर उपयोग किया।
ऐसा नहीं है कि पुलिस के अभियान से युवा बैगा और ग्रामीण बांशिदे एकाएक प्रभाव में आ गए। पुलिस ने शिक्षाप्रद अभियान के दम पर पहाड़ों की नई पीढ़ी को रिझाने ताकत झोंकनी पड़ी। 2017 से कवर्धा पुलिस ने कम उम्र के बच्चों की शिक्षा से दूरी ख़त्म करने को एक अभियान बनाया। पुलिस ने सामुदायिक पुलिसिंग में नक्सलग्रस्त गांवों में स्कूल में बच्चों को शिक्षित करना शुरू किया। कवर्धा के झलमला इलाके के शौंरू, भोरमदेव के पंडरीपथरा, बंदूकुंदा, झुरगीदादर, मांदीभाठा, तेंदूपड़ाव, बगईपहाड़ और चिल्फी के सुरूतिया में अस्थाई स्कूल खोल दिए। इस तरह 8 स्कूलों में लगभग 600 से ज्यादा विद्यार्थी तालीम लेकर आगे बढ़ गए। वर्तमान में इन स्कूलों में 167 बच्चे अध्ययनरत है।
पुलिस ने युवा बैगाओं के पिछड़े होने की वजह अधूरी पढाई को माना। इसके बाद ओपन स्कूल परीक्षा की तैयारी के लिए एक माहौल तैयार कर युवाओं को 10वीं और 12वीं की परीक्षा के लिए प्रोत्साहित किया। पुलिस के इस अभियान को भी सफलता मिली। साल 2018 से वर्ष 2022 के बीच बोक्करखार, कुंडपानी और बोदा जैसे घोर नक्सल क्षेत्र के 169 युवा ओपन परीक्षा में बाजी मारकर उच्च शिक्षा की राह पर चल निकले। पुलिस ने युवाओं को तालीम दिलाने के लिए विशेष कोचिंग और गाइडलाइन में मदद की। युवाओं के लिए नक्सल चुनौती वाले गांवों में कोचिंग सेंटर खोल दिए गए।
बेहतर शिक्षा के दम पर साल 2019-20 में पांच युवा-युवती ने प्रथम स्थान पाकर पुलिस के अभियान को गति दिया। ओपन परीक्षा के जरिये लगभग 100 विशेष जनजाति और अन्य समाज के 70 युवा उत्तीर्ण हुए। ओपन परीक्षा में सफलता मिलने के बाद पुलिस ने उच्च शिक्षा के लिए कवर्धा शहर में छात्रावास और अन्य शैक्षणिक सुविधा मुहैया कराई है। वहीं प्रतिभावान बच्चों और युवाओं को अलग-अलग शहरी स्कूलों में दाखिला दिलाया गया है। वनांचल क्षेत्र के कई गांव के छात्र-छात्राओं को हाईस्कूल और हायर सेकंडरी स्कूल में पढऩे पर पुलिस का पूरा जोर है। यही कारण है कि शिक्षा ने पठारी क्षेत्रों के युवाओं की समझ को राष्ट्र और निजी विकास के प्रति गहरा किया है।
नक्सल उन्मूलन में शानदार उपलब्धि
कवर्धा पुलिस ने नक्सल उन्मूलन में भी प्रभाव छोड़ा है। नक्सल मोर्चे में पुलिस के पास गिनाने के लिए कई उपलब्धियां हैं। जिसमें आत्मसमर्पण और मुठभेड़ भी पुलिस की साख को मजबूत कर रही है। गुजरे कुछ सालों में आधा दर्जन नक्सलियों ने हथियार छोडकऱ मुख्यधारा में वापसी की है। प्रमुख रूप से 2020 में तीजू उर्फ मंगलू, राजे पेलम, दिवाकर उर्फ किशन, देवे उर्फ लक्ष्मी, करण उर्फ सुखू तथा अनिता ताती कुख्यात नक्सली शामिल हैं। समर्पित नक्सलियों में ज्यादातर बस्तर के सुदूर इलाकों के रहने वाले हैं। अब सभी आम लोगों की तरह सामान्य जीवन जी रहे हैं। इसी तरह पुलिस ने मुठभेड़ में भी अपना दमखम दिखाया है। 2018 से 2019 के बीच पुलिस ने बीहड़ इलाकों में तीन नक्सलियों को मार गिराया है। जिसमें तीनों पर दो-दो लाख रुपए का ईनाम था।
बेस कैम्प बने थाने,फोर्स की ताकत बढ़ी
नक्सल इलाकों में सिलसिलेवार रूप से पुलिस ने अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए बेस कैम्प खोले। कुछ सालों में बेस कैम्प के चलते ग्रामीणों को सुरक्षा का अहसास हुआ और थानों की मांग शुरू हो गई। बेस कैम्प को थानों में बदलकर ग्रामीणों को एक उन्मुक्त सुरक्षा का माहौल प्रदान किया गया। जिसके चलते झलमला, तरेगांव और सिंघनपुरी को बेस कैम्प से थाना में परिवर्तित किया गया। इसके अलावा अब भी तेलीटोला, महीडबरा बेस कैम्प से पुलिस सीमावर्ती इलाकों में मुस्तैद है। जिला पुलिस के अलावा अलग-अलग बटालियन के जवान नक्सल मोर्चे में तैनात है।
परंपरागत खेल बनी पुलिस-युवाओं के बीच कड़ी
कवर्धा पुलिस ने परंपरागत खेलों को भी नक्सलियों के खिलाफ इस्तेमाल किया है। मसलन कबड्डी, खो-खो, कुश्ती के अलावा अन्य खेलों में रुचि रखने वाले युवाओं को प्रोत्साहित करने में पूरा जोर लगाया। अपेक्षित परिणाम के रूप में युवा ऐसे खेलों में दक्ष होकर क्षेत्रों में अपनी पहचान बना चुके हैं। वहीं क्रिकेट और हॉकी जैसे खेलों को भी युवाओं ने चुना है। खासतौर पर कवर्धा जिले के सरहद से सटे मंडला, बालाघाट और डिंडौरी क्षेत्र में युवा खेलों के दम पर खूब वाहवाही बटोर रहे हैं। पुलिस ने प्रतिभावान खिलाडिय़ों के लिए सुविधाएं भी मुहैया कराई है। यानी एक तरह से खेल ने भी युवाओं की दशा और दिशा बदल दी है।