कोरिया

वनमाली सृजन पीठ का राष्ट्रीय सम्मेलन भोपाल में कोरिया जिले से तीन साहित्यकार होंगे शामिल
31-Jul-2022 5:03 PM
वनमाली सृजन पीठ का राष्ट्रीय सम्मेलन भोपाल में कोरिया जिले से तीन साहित्यकार होंगे शामिल

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
मनेन्द्रगढ़, 31 जुलाई। र
विंद्र नाथ टैगोर विश्वविद्यालय भोपाल सभागार में वनमाली सृजन पीठ का राष्ट्रीय सम्मेलन 1 अगस्त से प्रारंभ हो रहा है जिसमें दिल्ली, झारखंड, बिहार, उत्तरप्रदेश, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश सहित देश के 8 विश्वविद्यालयों से जुड़े वनमाली सृजन केंद्रों के साहित्य, कला संस्कृति से जड़े रचनाकार एवं पुरातात्विक धरोहर, चिंतक इसमें शामिल होंगे।

सम्मेलन मे कोरिया जिले से छत्तीसगढ़ वनमाली सृजन पीठ के कोरिया केंद्र के संयोजक वरिष्ठ साहित्यकार वीरेंद्र कुमार श्रीवास्तव, अध्यक्ष योगेश कुमार गुप्ता एवं सचिव गौरव अग्रवाल शामिल हो रहे हैं। राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्देश्य साहित्य, कला एवं आंचलिक धरोहरों को सहेजने की कोशिश करने वाले चिंतकों की भावनाओं से परिचित होना एवं उनकी कला को निखारने के संबंध में उनके विचारों को मंच प्रदान कर उस दिशा में कार्य करना होगा।

वनमाली सृजन पीठ भोपाल द्वारा विगत 30 वर्षों से वनमाली कथा सम्मान, वनमाली लोक कथा सम्मान, अलग-अलग विधा में साहित्यकारों को प्रदान किए जाते हैं। विश्व साहित्य के कलमकारों को जोडऩे का एक सफल प्रयास रविंद्र नाथ नाथ टैगोर विश्वविद्यालय द्वारा विश्वरंग आयोजन के माध्यम से किया जा चुका है, जिसमें दुनिया भर के अलग-अलग विधा के रचनाकार एवं कलाकार शामिल हुए थे। वनमाली सृजन केंद्र कोरिया के संयोजक वीरेंद्र कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि वनमाली सृजन पीठ द्वारा प्रकाशित पत्रिका वनमाली कथा में वनमाली सृजन केंद्र के दूरस्थ अंचलों के साहित्यकारों की रचनाएं शामिल की जा रही हैं जिससे ग्राम्यांचलों के रचनाकारों की रचनाओं को राष्ट्रीय क्षितिज तक पहुंचा कर उनका राष्ट्रीय स्तर पर मूल्यांकन हो सके।

वनमाली सृजन केंद्र कोरिया के संयोजक वीरेंद्र कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि इस सृजन पीठ का उद्देश्य पुस्तकालयों एवं पठन संस्कृति को बढ़ावा देना है। इस उद्देश्य के पूर्ति हेतु उन्होंने प्रत्येक जिले में वनमाली कथा एवं इलेक्ट्रॉनिकी आपके लिए जैसी मासिक पत्रिकाओं को निशुल्क देना प्रारंभ किया है।

मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ के आजादी पूर्व से लेकर अब तक लिखी गई चर्चित कहानियों की 6 भागों में संग्रहित ग्रंथावली कथादेश सभी केंद्रों को प्रदान किए गए हैं, जिसका लाभ अंचल के साहित्यकारों और सुधि पाठकों को मिल रहा है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सम्मेलन में रचना प्रक्रिया के कई सार्थक परिणाम को दिशा मिलेगी।

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