राजनांदगांव
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 4 अगस्त। हम भगवान के पास मांगते ही रहते हैं । हमारा मन कटोरा हो गया है, जब देने वाला देने के लिए पूर्ण रूप से तैयार बैठा है तो हम उनसे बेकार की चीजें क्यों मांगते रहते हैं ? मांगना ही है तो हमें उनसे मन की समाधि मांगनी चाहिए। उक्त उद्गार मंगलवार को समता भवन में अपने नियमित प्रवचन के दौरान जैन संत श्री हर्षित मुनि ने व्यक्त किए।
हर्षित मुनि ने कहा कि हम मांगे बिना रह नहीं सकते। हमारा मन भटकते रहता है और हम उस पारलौकिक परमात्मा से बेकार की चीज मांगते रहते हैं। हकीकत तो यह है कि हमने भगवान से रिश्ता ही नहीं बनाया है। हमें परमात्मा से मांगना चाहिए कि हमारी सारी इच्छाएं खत्म हो और हम उनसे मिले। उन्होंने कहा कि ऐसा समय याद करें कि आपकी इच्छाएं पूरी होकर तरबतर हो गई हो और आपका मन भक्ति से एकाग्र हो, शायद ऐसा समय आया न होगा। हम छोटी-छोटी इच्छाओं को लेकर रहते हैं। द्रौपदी ने चीरहरण के समय जब किसी ने साथ नहीं दिया तो उन्होंने उस पारलौकिक परमात्मा से संपर्क जोड़ा और परमात्मा ने उनकी लाज बचाई और उनकी रक्षा की। आप भी पारलौकिक परमात्मा से संपर्क जोडऩे की कोशिश करें। यह जानकारी विमल हाजरा ने दी।