रायपुर

आदि विद्रोह समेत 44 पुस्तकों का विमोचन, आदिवासी दिवस पर कार्यक्रम
09-Aug-2022 6:11 PM
आदि विद्रोह समेत 44 पुस्तकों का विमोचन, आदिवासी दिवस पर कार्यक्रम

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

रायपुर, 9 अगस्त। सीएम भूपेश बघेल ने मंगलवार को यहां निवास कार्यालय में विश्व आदिवासी दिवस के कार्यक्रम में आदिम जाति अनुसंधान प्रशिक्षण संस्थान द्वारा प्रकाशित ‘आदि विद्रोह’ एवं 44 अन्य पुस्तिकाओं का विमोचन किया। मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में वन अधिकार के प्रति ग्राम सभा जागरुकता अभियान के कैलेण्डर, अभियान गीत तथा सामुदायिक वन संसाधन अधिकार (चारगांव जिला कांकेर) के वीडियो संदेश का भी विमोचन किया।

आदिमजाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान द्वारा भारतीय स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर आजादी का अमृत महोत्सव कार्यक्रम की श्रृंखला में एवं विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर आदिमजाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान द्वारा आदिवासी जनजीवन से संबद्ध विभिन्न आयामों को अभिलेखीकृत करने का कार्य किया गया है, संस्थान द्वारा 44 पुस्तकें प्रकाशित की गई है।

आदिमजाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान द्वारा जल-जंगल-जमीन शोषण, उत्पीडऩ से रक्षा एवं भारतीय स्वतंत्रता के लिए समय-समय पर आदिवासियों द्वारा किये गये विद्रोहों एवं देश की स्वतंत्रता हेतु विभिन्न आंदोलनों में अग्रणी भूमिका निभाने वाली वीर आदिवासी जननायकों की शौर्य गाथा को प्रदर्शित करने आदि विद्रोह छत्तीसगढ़ के आदिवासी विद्रोह एवं स्वतंत्रता संग्राम के आदिवासी जननायक पुस्तिका तैयार की गयी है। इस पुस्तक में 1774 के हलबा विद्रोह से लेकर 1910 के भूमकाल विद्रोह एवं स्वतंत्रता पूर्व तक के विभिन्न आंदोलन जिसमें राज्य के आदिवासी जनजनायकों की भूमिका का वर्णन है।

आदिवासी व्यंजन-राज्य के उत्तरी आदिवासी क्षेत्र जैसे सरगुजा, जशपुर कोरिया, बलरामपुर, सूरजपूर आदि, मध्य आदिवासी क्षेत्र जैसे रायगढ़ कोरबा, बिलासपुर, कबीरधाम, राजनांदगांव, गरियाबंद, महासमुंद, धमतरी एवं दक्षिण आदिवासी क्षेत्र जैसे कांकेर, कोण्डागांव, नारायणपुर, बस्तर, दंतेवाड़ा, सुकमा एवं बीजापुर जिलों में निवासरत जनजातिया में उनके प्राकृतिक पर्यावास में उपलब्ध संसाधनों एवं उनकी जीवनशैली को प्रदर्शित करने वाले विशिष्ट प्रकार के व्यंजन एवं उनकी विधियां अभिलेखीकृत की गई हैं।

छत्तीसगढ़ की आदिम कला- छत्तीसगढ़ राज्य के उत्तर मध्य एवं दक्षिण क्षेत्र के जिलों में निवासरत जनजातीय समुदायों में उनके दैनिक जीवन के उपयोगी वस्तुओं, घरो की दीवारों में उकेरे जाने वाले भित्ती चित्र, विशिष्ट संस्कारों में प्रयुक्त ज्यामितीय आकृतियां आदि सदैव आदिकाल से जनसामान्य के लिए आकर्षण का विषय रही है।

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