रायपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 10 अगस्त। हिन्दू कैलंडर के अनुसार कल गुरूवार को भाई-बहन का पवित्र त्योहार राखी मनाया जाएगा। पौराणिक मान्यताओं को माने तो इसे सतयुग और द्वापर से शुरूआत मानी जाती है। रक्षाबंधन के दिन हाथों में कलावा बांधने का भी विशेष महत्व है। हिंदू धर्म में मौली को बांधना वैदिक परंपरा का एक हिस्सा कहा जाता है, क्योंकि यह कलाई के चारों ओर बंधा होता है, इसलिए इसे कलावा कहा जाता है। इसे आमतौर पर उप मणिबंध वैदिक नाम से जाना जाता है। रक्षा बंधन में राखी की जगह कलावा भी बांधा जा सकता है। कथाओं के अनुसार: राजा बलि ने भगवान वामन को कलावा बांधा, दान से पहले असुर राजा बलि ने यज्ञ में भगवान वामन को कलावा बांधा था। इसक बाद ही वामन देव ने तीन पग भूमि दान कर प्रसन्न होकर उनकी कलाई पर रक्षा सूत्र बांधकर अमरत्व का वचन दिया।
माता लक्ष्मी ने राजा बलि को बांधा रक्षा सूत्र
इसके अलावा माता लक्ष्मी ने अपने पति श्री हरि विष्णु की रक्षा के लिए राजा बलि के हाथ में रक्षा सूत्र या कलावा बांधा था। इसके बाद वह पति को पाताल लोक से साथ ले गई थी।
द्रौपदी ने भी श्रीकृष्ण को बांधा रक्षा सूत्र
एक अन्य मान्यता के अनुसार जब श्री कृष्ण ने शिशुपाल का वध किया था तो उनकी बाएं हाथ की अंगुली कट गई और उससे खून आने लगा. यह देखकर द्रौपदी ने तुरंत अपनी साड़ी का टुकड़ा फाड़ कर श्री कृष्ण की उंगली पर बांधा था। तभी से रक्षाबंधन मनाने की परंपरा चली आ रही है।
ज्योतिषाचार्य कमल दुबे ने बताया कि 11 अगस्त को राखी त्योहार मनाया जायेगा। राखी सावन महीने की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इस साल पूर्णिमा तिथि दो दिन यानी 11,12 अगस्त को त्योहार मनाया जाएगा। दो दिन पूर्णिमा तिथि होने से लोगों के बीच असमंजस है कि आखिर किस दिन राखी का त्योहार मनाना शुभ रहेगा और रक्षासूत्र बांधने का उत्तम मुहूर्त क्या है। हिंदू पंचांग के अनुसार , सावन मास की पूर्णिमा तिथि 11 अगस्त को सुबह 10 बजकर 38 मिनट पर प्रारंभ होगी , जो कि 12 अगस्त को सुबह 7 बजकर 5 मिनट तक रहेगी । ऐसे में लोग दुविधा में हैं कि रक्षा बंधन का पर्व 11 अगस्त को मनाया जाएगा या फिर 12 अगस्त । ज्योतिषाचार्यों के अनुसार ,11 अगस्त को भद्रा काल की साया होने के कारण कुछ लोग रक्षा बंधन का पर्व 12 अगस्त को मनाएंगे।
11 अगस्त को भद्राकाल सुबह से रात 08 बजकर 51 मिनट तक है । हिंदू मान्यताओं के अनुसार, सूर्यास्त के बाद किसी भी शुभ कार्य वर्जित है । पंडित मनोज शर्मा का कहना है कि रक्षाबंधन के विषय में इस बार लोगों में ये भ्रांति है कि 11 अगस्त को पूर्णिमा देर से आ रही है जबकि 12 को उदया तिथि में पूर्णिमा है इसलिए 12 अगस्त को रक्षाबंधन मनाया जाए। हालांकि , पूर्णिमा तिथि पर रात्रिकालीन चंद्रमा होना चाहिए। 11 अगस्त को पूर्णिमा सुबह 10.37 बजे से लग जाएगी और पूर्णमासी जिस दिन लग रही है , उसी दिन रक्षाबंधन का त्योहार मनेगा। यानी 11 अगस्त की पूर्णिमा में रक्षाबंधन मनाया जाना ही शास्त्रोचित है।
11 को शुभ क्यों
पंडित मनोज शर्मा का कहना है कि अगर तिथियों का अवलोकन किया जाए तो एकादशी , त्रयोदशी और पूर्णमासी आदि तिथि पर भद्रा रहती ही है। उन्होंने बताया कि भद्रा के विषय में एक बात है जिसके बारे में लोगों के पास जानकारी नहीं है कि भद्रा का वर्णन वास्तु शास्त्र में किया गया है। कुंभ , मीन , कर्क और सिंह में चंद्रमा हो तो भद्रा का वास मृत्यु लोक यानी पृथ्वी पर माना जाता है। इसके अलावा मेष , वृष , मिथुन , वृश्चिक में चंद्रमा होने पर भद्रा का वास स्वर्ग लोक में होता है। वहीं , कन्या , तुला और धनु में चंद्रमा होने पर भद्रा का वास पाताल लोक में माना जाता है। ऐसे में भद्रा अगर पाताल लोक में हो या स्वर्ग लोक में यह काफी शुभ फलदायी माना जाता है। ऐसे में 11 अगस्त को भद्रा पाताल लोक में है जिसके चलते आप बिना किसी दिक्कत के 11 अगस्त को रक्षा बंधन का त्योहार मना सकते हैं और सुबह 10 बजकर 37 मिनट के बाद भाइयों को रक्षा सूत्र बांध सकते हैं।