रायपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 11 अगस्त। छह दिनों तक छापे मारी के बाद आयकर की टीमें मंगलवार सुबह मारूति फेरो एलायज, ग्रेविटी स्पंज समूहों से लौट आई हैं। बीते बुधवार को अलग अलग टीमों ने इन समूहों के 47 ठिकानों पर दबिश दी थी। इनमें रायपुर, कोरबा, रायगढ़, झारसुगुडा और कोलकाता के दफ्तर,घर शामिल हैं।
इन ठिकानों से खासकर ग्रेविटी स्पंज आयरन के संचालकों द्वारा करोड़ों के कर अपवंचन से संबंधित कागजात मिले हैं। आयकर सूत्रों ने बताया कि यह समूह अपने कारोबार का 30 फीसदी लेनदेन कच्चे मे करता था। इनसे संबंधित लूज पेपर्स बड़ी संख्या में बरामद किए गए हैं। इनकी जांच में ही कम से कम तीन महीने से ज्यादा लग सकते हैं। वहीं इनके अलग अलग ठिकानों के 12 कमरे पजेशन आर्डर लगा कर बंद कर दिए गए हैं। इन्हें बाद में खोला जाएगा। दोनों समूहों के 47 ठिकानों से कुल सवा करोड़ रुपए नगद और ढाई करोड़ के जेवरात जब्त किए गए हैं।
सूत्रों ने बताया कि अकेले मारूति फेरोज समूह के द्वारा सौ करोड़ से अधिक की कर चोरी आंकी गई है। जबकि ग्रेविटी इस्पात समूह ने 50 करोड़ की। इनके पास से 9.44 करोड़ रूपए नगद एफडी और लेटर ऑफ क्रेडिट के मिले हैं। इनका पूरा कारोबार कच्चे लेन देन में ही होता था। इनसे संबंधित लूज पेपर्स बोरों में भरकर लाया गया है। इनकी जांच में ही दो से तीन माह का समय लगने की जानकारी आयकर अफसरों ने दी है। जांच से लौटे अफसरों ने बताया कि इन समूहों की कुछ शैल कंपनियों का भी पता चला है। इनसे संबंधित 12 ठिकानों को पजेशन ऑर्डर चस्पा कर लॉक किया गया है। इनमें रजबंधा मैदान स्थित फरिस्ता कॉम्पलेक्स का दफ्तर भी शामिल है। इनकी जांच के लिए झारसुगुड़ा, और कोलकाता के अफसर आएंगे। उस दौरान और कुछ खुलासे होंगे।
एक डायरेक्टर को आया हार्ट अटैक
सूत्रों ने बताया कि छापेमारी के दौरान ग्रेविटी स्पंज आयरन के एक डायरेक्टर को हार्ट अटैक आया था। अभी उनका इलाज चल रहा है।
बिहार में रंगदारी वसूली से परेशान होकर छग आए थे
सूत्रों ने बताया मारूति फेरोज के संचालक पूर्व में बिहार में कारोबार करते थे, और 15 वर्ष पूर्व ही छत्तीसगढ़ आए थे। वे बिहार में किडनैपिंग, रंगदारी, वसूली से त्रस्त होने पर छत्तीसगढ़ शिफ्ट होने का फैसला किया। यहां आने के बाद मारूति फेरोज के संचालक, और प्रवर्तकों ने पीछे मुडक़र नहीं देखा। उन्होंने नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) के विवादों फंसे और बिमार स्पंज आयरन इकाईयों को एक के बाद एक खरीदना शुरू किया, और साथ में कर चोरी के हर उपाय भी किए। आयकर अफसरों ने तब तक के आंकलन के अनुसार बताया कि इन समूहों के द्वारा 2 सौ करोड़ से अधिक का कर अपवंचन किया गया होगा।
संचालकों के नाम
ग्रेविटी ग्रुप-विरेन्द्र कुमार सुराना, धीरज कुमार सुराना, सुनील अग्रवाल, विकास अग्रवाल, और शिवभगत सिंह
मारूति स्पंज एंड फैरोज
राजेश तोला, अरूण कुमार, निशान खेतान, अशोक कुमार चौधरी।