बेमेतरा

स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने वाले सेनानी गुमनामी जीवन व्यतीत कर गए
14-Aug-2022 11:12 PM
स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने वाले सेनानी गुमनामी जीवन व्यतीत कर गए

आजादी के आंदोलन में ग्राम दाढ़ी का प्रमुख स्थान रहा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
दाढ़ी, 14 अगस्त।
देश की आजादी व स्वतंत्रता आंदोलन के नाम पर सक्रिय भूमिका निभाने वाले दाढ़ी निवासी स्वर्गीय दयाशंकर तिवारी पिता गणेश प्रसाद तिवारी गुमनामी जीवन व्यतीत कर गए जबकि आजादी के आंदोलन में ग्राम दाढ़ी प्रमुख रूप से केंद्र बिंदु बना हुआ था दाढ़ी ग्राम के बाजार चौक से गिरफ्तारी देने में स्वर्गीय दयाशंकर तिवारी के साथ आजादी के बाद बेमेतरा विधानसभा के विधायक रहे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वर्गीय लक्ष्मण प्रसाद वैद्य भी दाढ़ी बाजार चौक से गिरफ्तारी में शामिल रहे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के विचारों से स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बहुत प्रभावित थे तथा अपने जीवन काल में यह सदैव हाथ चरखा से सूत कात कर कपड़ा पहनते थे आज 75 वी स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर सरकार आजादी का अमृत महोत्सव मना रही है स्वतंत्रता सेनानियों के अदम्य साहस और बलिदान पर इस अंचल में एक शासकीय भवनों का नामकरण भी नहीं हो पाया ऐसे गुमनामी जीवन व्यतीत करने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के परिवार के आश्रितों को आज भी शासन से बड़ी उम्मीद बनी हुई है बेमेतरा जिले के स्वतंत्रता संग्राम सेनानीयो के नाम को चिरस्थाई बनाए रखने के लिए अभी तक शासन की ओर से कोई बड़ी पहल  जिले में नहीं हो पाया स्वतंत्रता आंदोलन का ग्राम दाढ़ी बेमेतरा तहसील में सबसे बड़ा केंद्र बिंदु रहा, देश की आजादी के नाम पर सर्वस्व  न्योछावर करने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रहे स्वर्गीय दयाशंकर तिवारी को मध्य प्रदेश शासन के द्वारा स्वतंत्रता संग्राम सेनानी प्रमाण पत्र ( जेल सर्टिफिकेट ) जारी किया गया है जिसमें लिखा गया है दयाशंकर तिवारी आत्मज गणेश प्रसाद ब्राह्मण को स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन में सक्रिय रुप में भाग लेने के उपलक्ष में प्रदान किया जाता है आप डिपेंस आफ इंडियन अधिनियम की धारा 129 डी आई आर 26(1)डी आई आर 38 ( 5 ) डी आई आर के अंतर्गत नीचे दर्शाए अनुसार रायपुर केंद्रीय जेल में रहे जेल प्रवेश की तिथि 8 सितंबर 1942 अंकित है केंद्रीय जेल रायपुर के द्वारा जारी किए गए जेल सर्टिफिकेट में सिद्धदोष  कैदी के रूप में 2 नवंबर 1942 से 12 अप्रेल 1943 तक तथा   डीटेंयु के रूप में दिनांक 7 सितंबर 1942 से 1 नवंबर 1942 तक तथा मुक्ति की तिथि 12 अप्रेल 1943 अंकित है।

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वर्गीय शंकर तिवारी को महाकौशल प्रांतीय कांग्रेस कमेटी जबलपुर के सभापति रहे गोविंद दास के द्वारा 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर ब्रिटिश साम्राज्य के विरुद्ध भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय देश सेवा और कारावास की त्याग पूर्ण कष्ट साधना के सम्मान में ताम्र पत्र से जबलपुर में सम्मानित किया गया था इसी तरह श्री तिवारी को 15 अगस्त 1972 में स्वतंत्रता के पच्चीसवें वर्ष के अवसर पर स्वतंत्रता संग्राम में स्मरणीय योगदान के लिए राष्ट्र की ओर से प्रधानमंत्री  स्वर्गीय श्रीमती इंदिरा गांधी ने दिल्ली में  ताम्र पत्र भेंट किया था ब्रिटिश शासन के विरुद्ध गांव गांव में तिरंगा लेकर जुलूस निकालते और अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ नारे लगवाते आस-पास के गांवो में देश की आजादी के लिए संघर्ष करने में तथा स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने में आज भी स्वर्गीय दयाशंकर तिवारी  अंचल में याद किए जाते हैं  सेनानी स्वर्गीय तिवारी उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में गंगा किनारे स्थित ग्राम बक्सर के परमहंस आश्रम में परमहंसी हो गए थे फिर वे साधु के वेश में ग्राम दाढ़ी स्थित मां जगदंबा मंदिर में ही रहने लगे थे जब तक श्री तिवारी जीवित रहे दाढ़ी बाजार चौक में  स्वतंत्रता एवँ गणतंत्र दिवस के अवसर ग्राम के सार्वजनिक स्थान बाजार चौक में ध्वजारोहण करते रहे आज भी सेनानी परिवार के सभी परिवारिक सदस्य ग्राम दाढ़ी में निवासरत है सेनानी स्वर्गीय दयाशंकर तिवारी का दिसंबर 1979 को गुमनामी जीवन व्यतीत कर 108 वर्ष की उम्र में निधन हो गया।

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