राजनांदगांव
पांच दिवसीय गौरव यात्रा का घुपसाल में समापन
राजनांदगांव, 18 अगस्त। कांग्रेस के राष्ट्रीय आह्वान पर खुज्जी विधायक छन्नी चंदू साहू के नेतृत्व में आजादी की गौरव यात्रा का पांचवे दिन ग्राम घुपसाल में समापन हुआ। विधायक श्रीमती साहू ने कार्यक्रम में कहा कि यह हमारी देशभक्ति का जज्बा है कि ऐसे खराब मौसम में भी हम तिरंगे तले एक साथ मौजूद हैं।
उन्होंने कहा कि देश को आगे ले जाने के लिए इसी जज्बे की जरूरत है। अनेकता में एकता और सर्वे भवन्तु सुखिन: की हमारी सभ्यता, संस्कृति को जीवंत रखने का सूत्र है तिरंगा। इसी सूत्र के साथ हम हमारे देश को काफी आगे ले जा सकते हैं और विश्व पटल पर सर्वोच्च स्थान पर स्थापित कर सकते हैं। उन्होंने इस दौरान शहीदों, स्वतंत्रता सेनानियों और जनकल्याण के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाले महान व्यक्तित्वों का याद करते नमन किया। उन्होंने यात्रा में शामिल हुए सभी लोगों का आभार प्रकट किया।
खुज्जी विधानसभा में विधायक के साथ ब्लॉक अध्यक्षों, पदाधिकारियों-कार्यकर्ताओं और समर्थकों सहित ग्रामीणों की सहभागिता से 30 गांव से होते हुए इस यात्रा ने 75 किमी का भ्रमण पूरा किया। इसकी शुरुआत 9 अगस्त को चिचोला से हुई थी। जबकि 14 अगस्त को इसका समापन ग्राम घुपसाल में हुआ। छुरिया, कुमर्दा और अंबागढ़ चौकी ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष क्रमश: रितेश जैन, अब्दुल खान और अनिल मानिकपुरी सहित कांग्रेस पदाधिकारी-कार्यकर्ताओं और समर्थकों ने विशेष भूमिका निभाई।
बुजूर्गों-महिलाओं का सम्मान
इस यात्रा के दौरान अलग-अलग ग्रामों में बुजुर्गों, शहीद के परिजनों और महिलाओं का सम्मान किया गया। सौ से अधिक व्यक्तियों के सम्मान का उद्देश्य उनके त्याग, बलिदान और जनसेवा को लेकर उनके समर्पण के लिए किया गया।
30 गांव तक पहुंची यात्रा
आजादी की गौरव यात्रा 9 अगस्त से शुरू हुई। विधायक श्रीमती साहू के नेतृत्व में शहीदों को याद कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने के साथ ही चिचोला में पूजा-अर्चना के बाद यात्रा प्रारंभ हुई थी। पहले दिन इस यात्रा ने ग्राम चिचोला से निकलकर बापूटोला, बिसाहूटोला, भंडारपुर, हालेकोसा, घोघरे, छुरिया का भ्रमण किया था। 10 अगस्त को दाऊटोला, आटरा, बहोरनभेड़ी, छछानपाहरी, सीतागुटा, सांगली, बांधाबाजार तक यह यात्रा पहुंची। 12 अगस्त को ग्राम खुर्सीटिकुल, अछोली, आमगांव, कुमर्दा और 13 अगस्त को ग्राम उमरवाही से शुरू होकर बरबसपुर, संबलपुर, चंदिया, गिदर्री होते हुए गुंडरदेही में समापन किया गया। आखिरी दिन 14 अगस्त को यात्रा गैंदाटोला से शुरू हुई और सीताकसा से साल्हेटोला, कल्लूटोला, दीवानटोला होते हुए घुपसाल में इसका समापन हुआ।