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मेकाज की 3 सदस्यीय टीम पहुँची रेगडग़ड्डा गाँव, ग्रामीणों का किया इलाज
18-Aug-2022 9:49 PM
मेकाज की 3 सदस्यीय टीम पहुँची रेगडग़ड्डा गाँव, ग्रामीणों का किया इलाज

 

  कीचड़ में फंसी वाहन तो 6 किमी पैदल ही पहुँचे अपनी मंजिल   

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
जगदलपुर, 18 अगस्त।
सुकमा जिले के अंतर्गत आने वाले ग्राम रेगडग़डडा में पिछले कुछ दिनों में अचानक फैली बीमारी से 3 वर्षों में 61 ग्रामीणों की मौत होने की जानकारी ग्रामीणों ने शासन को दिए एक पत्र में जारी किया है। इस पत्र के मिलते ही शासन-प्रशासन ने तत्काल एक टीम तैयार करते हुए ग्रामीणों की जांच के लिए लोकल डॉक्टरों की टीम को भेजा गया था, वहीं इस मौत के आकड़ों के सामने आने के बाद प्रशासन के द्वारा मेडिकल कॉलेज डिमरापाल से एक टीम तैयार करके रेगडग़ट्टा भेजा, लेकिन टीम को किसी कारण के चलते रेगडग़ट्टा तक जाने नहीं दिया गया था, लेकिन बुधवार सुबह फिर से 3 सदस्यीय डॉक्टर की टीम तैयार करके भेजा गया था, जहां टीम के सदस्य गाँव से 6 किमी दूर थी, कि अचानक गाड़ी कीचड़ में फंसने के कारण टीम के सदस्यों को 6 किमी का पैदल सफर करते हुए गाँव पहुँच ग्रामीणों की जांच करने के बाद वापस आने के लिए तैयार हो गए है।

बताया जा रहा है कि सुकमा जिले के कोंटा ब्लाक अंतर्गत रेगडग़ट्टा गांव में रहने वाले ग्रामीणों के द्वारा जिला प्रशासन को एक पत्र सौपा गया था, जिसमें ग्रामीणों ने यह दावा किया था कि गाँव में फैली अज्ञात बीमारी ने 32 महीने में 61 लोगों की जान ले ली, वहीं गांव में एक दर्जन से ज्यादा ग्रामीण इस बीमारी की चपेट में होने की बात बताई गई, जिनका इलाज  तेलंगाना के भद्राचलम में किया जा रहा था.

ग्रामीणों की शिकायत के बाद  जिला प्रशासन की जिला स्तरीय मेडिकल टीम गांव पहुंची थी, स्वास्थ्य विभाग और पीएचई विभाग की संयुक्त टीम द्वारा गांव पहुंचकर पानी व लोगों के ब्लड सैंपल तक लिए थे, गाँव में हुई रहस्यमयी बीमारी और उससे हो रही मौत से गांव में रहने वाले लोगों में दहशत देखी जा रही है।

गांव के बुजुर्ग पांडू राम मुचाकी ने बताया कि रेगडग़ट्टा गांव के बड़ापारा, पटेलपारा और ताडग़ोड़ा पारा के लोग इस अज्ञात बीमारी से सबसे ज्यादा ग्रसित हैं. हाथ—पैर मेंं सूजन के बाद पेट फूलने की शिकायत होती है, पूरे शरीर में दर्द बढ़ जाता है, और उसके कुछ दिनों में मरीज की मौत हो जाती है, साल 2020 में पहली मौत माड़वी मंगड़ू की हुई थी, उसके बाद से मौत का सिलसिला आज तक जारी है, पांडू राम का कहना है कि ढाई साल में प्रशासन की ओर से ठोस कदम नहीं उठाये गये, यदि समय पर अज्ञात बीमारी की पहचान हो जाती तो मौत का आंकड़ा रुक सकता था।

ग्रामीणों के अनुसार रेगडग़ट्टा गांव में बीते ढाई साल में हर दूसरे घर से अर्थी उठी है, गांव का एक ऐसा परिवार भी है, जिसके 5 में से 4 लोगों की मौत डेढ़ माह के भीतर ही हो गई, परिवार में 10 साल का पोडियाम हांदा ही बचा है, पोडियाम हांदा की चाची पोडियाम पोज्जे ने बताया कि इसी साल डेढ़ माह के अंदर परिवार के चार सदस्यों की मौत हो गई है। पहले पिता पोडियाम जोगा (32) की जान गई, उसके कुछ दिनों बाद मॉं पोडिय़ाम हिड़मे(30) और 12 साल की बहन पोडिय़ाम धन्नी की मौत एक ही दिन में हो गई, परिवार के तीन सदस्यों की मौत का गम कम हुआ ही नहीं था कि बड़ा भाई पोडियाम बुधरा (15) की मौत भी कुछ दिनों बाद हो गई, घर में पोडियाम हांदा ही बचा है जिसका देखभाल उसके चाची—चाचा कर रहे हैं, हांदा कोंंटा के प्री मैट्रिक बालक छात्रावास में रहकर 7वीं कक्षा में पढ़ रहा है।

जिला मुख्यालय से करीब 90 किमी दूर रेगडग़ट्टा गांव ग्राम पंचायत मुख्यालय है, यहां करीब 130 घर हैं, गांव के लोग इलाज के लिए तेलंगाना जाते हैं, गांव के मुचाकी हिड़मा (25) और माड़वी मासा (26) को पैरों में सूजन की शिकायत है, इसका इलाज भद्राचलम मेंं चल रहा है, सुबह ही इलाज कराकर वे गांव लौटे हैं।

मुचाकी हिड़मा ने बताया कि पैरों में सूजन के साथ जलन और दर्द होता है, भद्राचलम में इलाज चल रहा है, डॉक्टर ने पीलिया और यूरिक एसिड बढऩे की पुष्टि की है. अब तक इलाज में 50 हजार से ज्यादा खर्च हो गया है।अज्ञात बीमारी से मौत होने की जानकारी सामने आने के बाद सीएमएचओ की अगुवाई में मेडिकल टीम का गठन कर गांव में भेजा गया था, टीम इस बीमारी का पता लगा रही हैं, वही इस भयानक बीमारी का पता लगाने के लिए मेडिकल कॉलेज डिमरापाल से भी डॉक्टरों की टीम भेजी गई थी, लेकिन भेज्जी में विगत दिनों हुई मुठभेड़ के चलते डॉक्टरों की टीम को आगे जाने नहीं दिया गया था, जिसके चलते टीम को सुकमा से वापस लौटा दिया गया, लेकिन बुधवार को मेडिकल कॉलेज डिमरापाल से डॉक्टर अविनाश नेताम एमडी मेडिसिन सहायक प्राध्यापक, डॉक्टर आशीष वर्मा एमडी कम्यूनिटी मेडिसिन सीनियर रेजीडेंट, डॉक्टर राजकिशोर नायर पैथोलॉजिस्ट, रविन्द्र कंवर एमएलटी पैथोलॉजी के साथ ही वाहन चालक रमेश पोटाई को भेजा गया, जहां टीम के सदस्य रेगडग़ट्टा पहुँचने से पहले ही 6 किमी पहले वाहन कीचड़ में फस गई।

जहां टीम के सदस्यों ने पैदल ही 6 किमी की यात्रा तय की और गाँव पहुँचे, जहां ग्रामीणों का इलाज करने के बाद रिपोर्ट तैयार शासन को दिया जाएगा।

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