महासमुन्द
इस साल फिर से जगह के चिह्नांकन का प्रस्ताव शासन को भेजेंगे-सीएमओ
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 19 अगस्त। शहर की सडक़ों को मवेशियों से मुक्त कराने का काम महासमुंद नगर पालिका के लिए चुनौती बना हुआ है। नगरपालिका को गोकुल नगर बसाकर इस समस्या का निदान एक साल के भीतर करना था, लेकिन 4 सालों में भी पालिका जमीन तक का चिह्नांकन नहीं कर पाई है। लिहाजा घनी आबादी में डेयरी से वार्डवासी परेशानी हैं, वहीं लोगों को नाली जाम के साथ ही ट्रैफि क की समस्या से दो-चार होना पड़ रहा है। यहां गोकुल नगर योजना की शुरुआत वर्ष 2018-19 में हुई लेकिन आज तक यह योजना फाइलों में ही है।
मालूम हो कि शहर के तीन-चार वार्डों में के गली-कूचों में डेयरियां संचालित हैं, गोबर और गंदगी से हर वर्ग के लोग हलकान हैं। शहर की गलियां, चौक-चौराहों, वार्डों और नेशनल हाईवे में सुबह से रात तक बेसहारा और पालतू मवेशी झुंड में दिखाई देता है, जो हर वर्ग के लिए मुसीबत है।
इस संबंध में मुख्य नगर पालिका अधिकारी का कहना है कि स्थान का पूर्व में चिह्नांकन नहीं हो पाया है। इसकी वजह से गोकुल नगर नहीं बन पाया। इस साल फिर से जगह के चिह्नांकन का प्रस्ताव शासन को भेजेंगे।
इस योजना के तहत शहर में संचालित हो रहे सभी डेयरियों को शहर के बाहर एक जगह देना है। जिसका नाम गोकुल नगर होगा। यहां सडक़-नाली का निर्माण, विद्युत व पान की पर्याप्त व्यवस्था की जानी है। इसके साथ ही 24 घंटे पशु चिकित्सकीय सेवा के इंतजाम होंगे। मवेशियों के गोबर से बायो गैस प्लांट की भी स्थापना होनी है। इसमें एक डेयरी संचालक को प्रति मवेशी 100 वर्ग फीट के मान से डेयरी अधिकतम 10 हजार वर्ग फीट जगह उपलब्ध कराया जाना है। डेयरी संचालक अधिकतम 200 मवेशी रख सकते हैं।