गरियाबंद

सभ्यता और संस्कृति प्रकृति से जुड़े हैं आदिवासी-उइके
20-Sep-2022 7:41 PM
सभ्यता और संस्कृति प्रकृति से जुड़े हैं आदिवासी-उइके

राष्ट्रीय चिल्हीडार महापूजा एवं बेटा जौतिया महाव्रत में शामिल हुईं राज्यपाल

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

नवापारा राजिम, 20 सितंबर। राज्यपाल अनुसुईया उइके ने कहा कि आदिवासी सभ्यता और संस्कृति प्रकृति से जुड़़ेे है। आदिवासी संस्कृति प्रकृति पूजक हैं। जल,जंगल और जमीन से उनका गहरा नाता होता  है। गोंड़ी धर्म और संस्कृति को पुनर्जीवित करने के लिए इस  प्रकार के आयोजन एक अच्छी पहल है। उन्होंने पवित्र धार्मिक नगरी राजिम में गोंड़ी धर्म संस्कृति को पल्लवित करने, आयोजको को बधाई दी।

गोंड़ी धर्म संस्कृति संरक्षण समिति और छत्तीसगढ़ गोंड़वाना संघ के  संयुक्त तत्वावधान में आयोजित राष्ट्रीय चिल्हीडार महापुजा एवं बेटा जौतिया महाव्रत कार्यक्रम में राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके बतौर मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की। गोंडवाना गुरूदेव दुर्गेभगत एवं करूणामयी माता दुर्गेदुलेश्वरी की मौजूदगी में आयोजित  राजिम में इस कार्यक्रम में प्रथम पंचायत मंत्री एवं राजिम विधायक अमितेश शुक्ल, विधायक  बिन्द्रानवागढ़  डमरूधर पुजारी, सांसद  चुन्नीलाल साहू, पूर्व मंत्री गण  बृजमोहन अग्रवाल, केदार कश्यप एवं महेश गागड़ा  और पूर्व सांसद चंदूलाल साहू भी सम्मिलित हुए।

 राज्यपाल सुश्री उइके  ने  कहा कि समाज की माताएं  अपने  बच्चों और परिवार की आशीर्वाद के लिए चिल्हीडार  महापूजा एवं बेटा जौतिया महाव्रत करती हैं। आयोजन का यह 15वां वर्ष है। गोंड़ी धर्म संस्कृति के आयोजन मे शिरकत करते हुये मुझे सुखद खुशी की अनुभूति हो रही है। आदिवासी  सभ्यता एवं  संस्कृति प्रकृति से जुड़ा है। समाज के लिए प्रकृति पूज्य है। सहजता, सरल और स्वाभिमान की  जिन्दगी जीना आदिवासियों की पहचान है। वर्तमान परिस्थिति में अपनी संस्कृति को बनाये रखना भी एक महान कार्य है।  राज्यपाल ने कहा कि भारत के संविधान में समाज के विकास के लिए व्यवस्था की  गई है। 5वीं अनसूची में विशेष कानून पेशा के तहत  ग्रामसभा को अधिकार दिया गया है। लेकिन  आज भी  समाज  मूलभूत  समस्याओ  से जूझ रहा है। राज्यपाल सुश्री  उइके ने समाज के विकास के लिए केंद्र और राज्य सरकार के माध्यम से अपनी प्रयासों को विस्तार पूर्वक रेखांकित किया। राज्यपाल ने  अवगत कराया कि मात्रात्मक त्रुटि की वजह से लाभ से  वंचित 12 जनजातियों को अब अपनी  जाति का लाभ मिलेगा। पेशा कानून के लिए छत्तीसगढ़  शासन ने  नियम  बनाकर कानून का रूप दिया है। समाज द्वारा आवश्यक संशोधन हेतु पहल करने का सुझाव दिया गया है। राज्यपाल ने समाज के लोगों से राज्य और केंद्र सरकार की योजनाओ लाभ उठाने का आह्वान किया। उन्होंने धार्मिक  सद्भावनाओं पर जोर देते हुए कहा कि देश में अन्य धर्मों की भांति गोड़ी  धर्म को भी  मान्यता मिलना चाहिए। इससे पूर्व राज्यपाल ने कार्यक्रम स्थल पर स्थापित चिल्हीडार पर श्रद्धासुमन अर्पित किया।

विधायक अमितेश  शुक्ल ने अपने उद्बोधन में  समाज  के  विकास के लिए राज्य सरकार के प्रयासों को रेखांकित किया।  कार्यक्रम में पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल और विधायक डमरूधर पुजारी ने भी अपने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर गोंड़ी धर्म संस्कृति संरक्षण समिति और गोंडवाना संघ के पदाधिकारी तथा बड़ी संख्या में छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, उड़ीसा से पहुंचे समाज के लोग उपस्थित थे।


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