सरगुजा

यूनिवर्सिटी आगे बढ़े व ऊंचाई पर पहुंचे, यही हमारा प्रयास-कुलपति
21-Sep-2022 1:19 PM
यूनिवर्सिटी आगे बढ़े व ऊंचाई पर पहुंचे, यही हमारा प्रयास-कुलपति

विश्वविद्यालय की स्थापना के बाद पहली बार अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

अम्बिकापुर, 20 सितंबर। 2008 में हुए संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय की स्थापना के बाद पहली बार विश्वविद्यालय में त्रि-दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी 21 से 23 सितंबर को संपन्न होगा। संगोष्ठी को लेकर मंगलवार को विश्वविद्यालय परिसर में कुलपति अशोक सिंह पत्रकारों से बातचीत के दौरान बताया कि यूनिवर्सिटी आगे बढ़े व ऊंचाई पर पहुंचे, यही हमारा प्रयास है। स्थापना के बाद पहली बार यहां अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी होने जा रहा है,हमारा प्रयास है कि साल में कम से कम 2 बार नेशनल व इंटरनेशनल सेमिनार हो, संगोष्ठी के माध्यम से छात्र-छात्राओं का ज्ञान बढ़ेगा।

कुलपति ने बताया कि संगोष्ठी में भूटान से टेशरिंग पेम, दक्षिण अफ्रीका से प्रोफेसर एके मिश्रा, कुवैत से डॉ. आरोन राशिद रब्बाह, अमेरिका से अलंकृता सिंह, बिलासपुर से प्रोफेसर एच एस होता, रायपुर से प्रोफेसर संजय कुमार, लखनऊ से प्रोफेसर प्रीति मिश्रा, अमरकंटक से प्रोफेसर तरुण कुमार ठाकुर, ओडिशा से डॉ. संतोष कुमार सेठी, दिल्ली से प्रोफेसर बी आर गुप्ता और काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी से प्रोफेसर राधेश्याम दुबे, प्रोफेसर मनोज कुमार सिंह, प्रोफेसर प्रभाकर सिंह और प्रोफेसर आशीष कुमार त्रिपाठी आदि विद्वान अपना व्याख्यान देंगे। यह सरगुजा के लिए अत्यंत गौरव का विषय है।

इन अतिथियों के अतिरिक्त कुल 70 प्रतिभागियों द्वारा तीन दिनों में शोध पत्रों का वाचन भी किया जाएगा। विश्वविद्यालय की कुलाधिपति राज्यपाल ऑनलाइन के माध्यम से अपना विचार प्रदान करेंगी। इस अवसर पर शोध संक्षेपिका का विमोचन भी किया जाएगा। उद्घाटन सत्र के बाद तकनीकी सत्र प्रारंभ किया जाएगा, जिसमें शोध पत्र पढ़े जाएंगे। प्रत्येक दिन दो सत्र संचालित किया जाएगा। इस संगोष्ठी का स्थल अम्बिकापुर स्थित वीरेन्द्र प्रभा होटल रखा गया है।

कई संगोष्ठी हुए पर एक भी

 रिसर्च पेपर नहीं छपा

संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय में अब तक कई संगोष्ठी हो चुकी हैं, पर इसका लाभ छात्र-छात्राओं को नहीं मिल पाया है। इसका कारण यह है कि संगोष्ठी में जो व्याख्यान हुए, उसका आज तक रिसर्च पेपर नहीं छपा। इस बार त्रि दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी को लेकर कुलपति अशोक सिंह से पत्रकारों द्वारा प्रश्न किया गया कि क्या यह भी संगोष्ठी का पूर्व की भांति कोई लाभ छात्र छात्राओं को मिलेगा? प्रश्न के संदर्भ में कुलपति ने कहा कि उन्हें आए 1 वर्ष हुआ है, पहले क्या हुआ, उन्हें इसकी जानकारी नहीं है, लेकिन इस बार जो अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी होगा, उससे छात्रों को एकेडमिक एक्टिविटी के साथ उनका ज्ञान बढ़ेगा और इसका बकायदा रिसर्च पेपर छपेगा और वितरण किया जाएगा।

विदेश से नहीं आएंगे प्रोफेसर, ऑनलाइन देंगे व्याख्यान

पत्रकारों द्वारा वार्ता में कुलपति से पूछा गया कि जिस प्रकार से विश्वविद्यालय का कार्यक्रम जारी किया गया है, उसमें देश-विदेश से प्रोफेसरों के पहुंचने की बात कही गई है, क्या विदेश से भी कोई प्रोफेसर इस संगोष्ठी में प्रत्यक्ष रूप से शामिल होंगे? प्रश्न के संदर्भ में कुलपति अशोक सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय विदेश से प्रोफेसर के यहां बुलाने का खर्च वहन करने में सक्षम नहीं है, इस कारण वह ऑनलाइन ही व्याख्यान देंगे। इसके अलावा देश के अलग-अलग राज्यों से कुछ प्रोफेसर के पहुंचने की संभावना है, अगर वह भी नहीं आएंगे तो ऑनलाइन अपना व्याख्यान देंगे।

संगोष्ठी समन्वयक पर भडक़े कुलपति

विश्वविद्यालय परिसर में वार्ता के दौरान संगोष्ठी के समन्वयक हरिशंकर प्रसाद टोंडे के प्रेस कॉन्फ्रेंस में नहीं पहुंचने पर कुलपति भडक़ गए और विश्वविद्यालय के पीआरओ से नहीं आने की जानकारी ली। वार्ता के पश्चात जब पत्रकार बाहर निकले तो उन्हें कार्यक्रम के संयोजक हरिशंकर प्रसाद टोंडे मिले, उनके लेट आने का कारण पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मुझे प्रेस वार्ता की जानकारी 3.30 बजे की थी, जबकि वार्ता विश्वविद्यालय परिसर में 1 बजे से आयोजित की गई थी।

 

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