बस्तर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
जगदलपुर, 21 सितंबर। मेडिकल कॉलेज डिमरापाल में एक गर्भवती महिला को अत्यधिक दर्द के चलते भर्ती किया गया था, जहां सोनोग्राफी में पता चला कि बच्चा गर्भ में ना होकर पेट मे है, ऐसा मामला बहुत कम देखने को मिलता है, जब इस तरह का कोई मामला देखने को मिलता है, जिसके बाद डॉक्टरों की टीम ने तत्काल ऑपरेशन करते हुए बच्चे को बाहर निकालकर उसे वेंटिलेटर में रखा गया, जहां 1 माह तक चले उपचार के बाद अब बच्चा पूरी तरह से स्वस्थ हैं, मामले के बारे में जानकारी देते हुए शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ अनुरूप साहू ने बताया कि 19 अगस्त की शाम 6.50 बजे सुनीता निवासी मोहलई थाना बस्तर को डिमरापाल पेट दर्द की शिकायत से उपचार के लिए लाया गया, चिकित्सको ने तत्काल ऑपरेशन के बाद नवजात को शिशु वार्ड के एसएसीयू में अत्यंत गंभीर स्थिति में भर्ती किया गया, जन्म के तुरंत बाद नवजात की सांस नहीं चल रहा था, दिल की धडकन भी बहुत कम था, नवजात एकदम कोलेप्स कंडीशन में था, नवजात को तत्काल रिससिटेट किया गया व वेंटीलेटर & intensive इलाज की सुविधा दिया गया, 5 दिनों तक Ventilator मशीन में रखा गया व 7 दिनों तक वेंटी c PAP में 12 दिनों तक क्रित्रिम श्वसन (Artificial respiration) में रखा गया, फिर OXYGEN थेरेपी में रखा गया, Intensive ईलाज से जान बच पाई, नवजात का जन्म मां के पेट में फीटस बच्चादानी में नहीं था अपितु बच्चादानी से बाहर पेट (Abdomen ) में था, लगभथ 32 सप्ताह का गर्भ था, जिसको डिमरापाल अस्पताल में इमर्जेंसी सीजेरियन आपरेशन कर के बाहर निकाला गया था, इसीलिए नवजात एकदम क्रिटीकल था, अभी बच्चा बिना आक्सीजन के है व पाईप से दूध पिलाया जा रहा है, शिशु रोग विभाग के चिकित्सकों स्टाफ नर्सों व चतुर्थ श्रेणी के समेकित प्रयास से ही नवजात शिशु का जान बच पाया व समेकित इलाज हो पाया,चिकित्सको ने यह भी बताया कि नवजात के जन्म के समय उसका वजन 1.9 किलो का था, लेकिन अब बच्चा का वजन 1.55 किलो के लगभग था, इस दौरान डॉ अनुरूप साहू, डॉ पुष्पराज प्रधान, डॉ दीपक जायसवाल, डॉ बबिता, डॉ पालाराम मीणा, डॉ अपूर्व स्काट, डॉ हर्ष बघेल, डॉ बलदेव का काफी सराहनीय योगदान रहा।