राजनांदगांव
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 24 सितंबर। नए जिले खैरागढ़-छुईखदान-गंडई में जल्द ही भाजपा नया जिलाध्यक्ष की ताजपोशी पर मंथन कर रही है। नए जिले का सांगठनिक मुखिया का पद सम्हालने के लिए भाजपा में जोर आजमाईश चल रही है। राजनीतिक रूप से नए अध्यक्ष की कमान अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर बेहद महत्वपूर्ण होगी।
संगठन की कमान अपने हाथ में लेने वाले नेता पर विधानसभा चुनाव में पार्टी के जीत का परचम लहराने का भी जिम्मा होगा। ऐसे में भाजपा में अनुभवी और सांगठनिक क्षमता को दृष्टिगत रखकर अध्यक्ष की नियुक्ति करने पर विचार किया जा रहा है। खैरागढ़-छुईखदान-गंडई को भाजपा ने भी प्रशासनिक रूप से अस्तित्व में आने के बाद सांगठनिक जिला घोषित कर दिया है। खैरागढ़ की सियासत उठापटक और चुनौतीपूर्ण मानी जाती है। क्षेत्रीयता और जातिगत समीकरण को अलावा संगठन में मजबूत दखल रखने वाले नेता को ही पार्टी जिलाध्यक्ष की कुर्सी सौंप सकती है। खैरागढ़ का पहला अध्यक्ष बनने की दौड़ में विक्रांत सिंह, सचिन बघेल, घम्मन साहू और प्रेमनारायण चंद्राकर का नाम चर्चा में है।
हालांकि विक्रांत सिंह सांगठनिक राजनीति करने के बजाय चुनावी रण पर उतरने की इच्छा से पार्टी नेतृत्व को अवगत करा चुके हैं। यानी वह अगले विधानसभा चुनाव में पार्टी की टिकट पर मैदान में उतरने के इच्छुक हैं। यह तय है कि नए जिलाध्यक्ष की नियुक्ति में उनकी पसंद की अहमियत रहेगी। इधर राजनांदगांव जिला भाजपा के मौजूदा महामंत्री सचिन बघेल भी खैरागढ़ के नए जिलाध्यक्ष की दौड़ में शामिल हैं। बघेल मूलत: खैरागढ़ के ही बाशिंदे हैं। वह लंबे समय से खैरागढ़ क्षेत्र से राजनीति करते रहे हैं। बघेल के नाम को विक्रांत सिंह का समर्थन मिल सकता है।
अध्यक्ष की दौड़ में घम्मन साहू का नाम भी आगे आया है। वर्तमान में वह जिला पंचायत सदस्य हैं। पूर्व में वह पांडादाह मंडल के अध्यक्ष की कमान सम्हाल चुके हैं। इधर छुईखदान मंडल अध्यक्ष प्रेमनारायण चंद्राकर भी अध्यक्ष की कुर्सी के लिए जोड़तोड़ कर रहे हैं। नए जिले में पार्टी जिलाध्यक्ष की कुर्सी पर ऐसे चेहरे को मौका देगी, जिसे राजनीतिक संतुलन बनाए रखने की महारत हासिल होगी। यह भी साफ है कि पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की राय के आधार पर अध्यक्ष के नाम की घोषणा होगी। वहीं लोधी बाहुल्य इलाका होने के कारण जातिगत समीकरण भी मनोनयन में एक प्रमुख आधार बनेगा।