रायपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 25 सितंबर। दिल्ली से आई सीबीआई की टीम ने रायपुर में ऑपरेशन ‘मेघ चक्र’ चलाया। इस ऑपरेशन के जरिए देशभर में बच्चों से जुड़े अश्लील कंटेंट इंटरनेट पर शेयर, अपलोड या डाउनलोड करने वालों को पकड़ा जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक रायपुर में 2 आरोपियों को सीबीआई टीम ने गिरफ्तार किया है। शहर के सरस्वती नगर थाना इलाके के कोटा से इन्हें पकड़ा गया है। दिल्ली में इनके खिलाफ केस रजिस्टर्ड हुआ। इंटरनेट के आईपी एड्रेस के आधार पर इन बदमाशों को खोजती हुई सीबीआई की टीम रायपुर पहुंची। जल्द ही बदमाशों के नामों का खुलासा होगा। फिलहाल इनसे पूछताछ की जा रही है।
आधिकारिक जानकारी के मुताबिक सीबीआई ने ऑपरेशन ‘मेघ चक्र’ के चलते 21 राज्यों के 59 जगहों पर एक साथ छापा मारा। इसमें रायपुर भी शामिल था। ष्टक्चढ्ढ के अफसरों ने बताया कि फतेहाबाद (हरियाणा); देहरादून (उत्तराखंड); कच्छ (गुजरात); गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश); मुर्शीदाबाद (पश्चिम बंगाल); मुंबई, पुणे, नासिक, ठाणे, नांदेड़, सोलापुर, कोल्हापुर और नागपुर (महाराष्ट्र); रांची (झारखंड); चित्तूर (आंध्र प्रदेश); कृष्णा (आंध्र प्रदेश); राम नगर (कर्नाटक); कोलार (कर्नाटक); फरीदाबाद (हरियाणा); हाथरस (उत्तर प्रदेश); बेंगलुरु; कोडगु; रायपुर (छ.ग.); नई दिल्ली; चेलक्कारा (केरल); डिंडीगुल (मदुरै); गुरदासपुर और होशियारपुर ; चेन्नई; धनबाद; राजकोट; गोवा; हैदराबाद; अजमेर; जयपुर; कुड्डालोर ; मल्लापुरम ; लुनवाड़ा; गोधरा; गुवाहाटी; धीमाजी ; ईटानगर ; बर्धमान ; महाराजगंज ; सारण ; भागलपुर ; अगरतला ; मंडी में छापेमारी की गई है।
विदेशी वेबसाइटों पर अपलोड हो रहे अश्लील कंटेंट
सीबीआई अफसरों को इंटरपोल से इनपुट मिला। जिसमें पता चला कि, बच्चों के यौन शोषण के वीडियो फोटो विदेशी साइटों पर भेजे जा रहे हैं। सिंगापुर से प्राप्त सूचना के आधार पर छापेमारी की गई। न्यूजीलैंड की पुलिस ने भी जानकारियां भेजीं। क्लाउड बेस्ड स्टोरेज का उपयोग कर कई भारतीय नागरिक, बाल यौन शोषण कंटेंट वायरल / डाउनलोड / शेयर करने में शामिल पाए गए उनके खिलाफ कार्रवाई हो रही है।
अब तक हिरासत में 50 लोग
छापे के दौरान रायपुर समेत देश के कई हिस्सों से 50 से अधिक संदिग्धों को हिरासत में लिया गया है। सीबीआई की टीम इनके मोबाइल, लैपटॉप सहित इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जब्त कर रही है। इसमें बच्चों से जुड़े बाल यौन शोषण कंटेंट मिले हैं। सीबीआई के अफसर इस कोशिश में हैं कि, वीडियो या फोटो में दिख रहे बच्चों तक पहुंचा जाए, और फिर पीडि़तों और शोषण करने वालों की पहचान की जा सके।