महासमुन्द
अभी तक प्रशासन से जमीन का आधिपत्य ही नहीं मिला
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 26 सितम्बर। शहर के सडक़-चौराहों को जाम से मुक्त करने के लिए बेतरतीब तरीके से ठेला-खोमचा लगाने वालों को व्यवस्थित करने पालिका ने सालभर पहले एक ही स्थान पर पक्की दुकान बनाकर देने की योजना बनाई थी। इस योजना के परिपालन में न तो फंड तय किया गया और न ही जमीन तय की गई। बावजूद इसके 148 वेंडरों से 5-5 हजार रुपए बतौर अमानत राशि जमा कराई गई। नगर सरकार बदलने के बाद भी जमीन और फं ड तय करने में फेल हो चुकी पालिका अब वेंडरों के 7.40 लाख लौटाने की तैयारी में है। विभागीय जानकारी करे अनुसार अभी तक प्रशासन से पालिका को जमीन का आधिपत्य नहीं मिल पाया है। जमीन मिलने पर 1-1 दुकान बनाने में डेढ़ लाख से अधिक खर्च आएगा।
नगर पालिकाध्यक्ष राशि महिलांग ने कहा कि ठेला-खोमचा लगाने वालों का व्यवस्थापन जरूरी है। इसे एक न एक दिन करना ही होगा। कलेक्टर से जमीन की मांग रखी जाएगी और नगरीय प्रशासन मंत्री से राशि की मांग करेंगे। पालिका से मिली जानकारी के अनुसार शहर में करीब 170 फु टकर व्यापारी है, जो राष्ट्रीय राजमार्ग 353 के दोनों ओर दुकानें लगाते हैं। इससे आवागमन में परेशानी होती थी। 2 साल पहले डिवाइडर व सडक़ चौड़ीकरण के बाद परेशानी न हो इसके लिए पालिका सभी व्यापारियों को यहां से हटा रही थी। उस समय फुटकर व्यापारियों ने समस्या को देखते हुए तत्कालीन पालिका अध्यक्ष प्रकाश चंद्राकर ने बैठक लेकर दुकान हटाने की बात कही और उन्हें टाउन हॉल के सामने खाली जगह देते हुए आपने पैसे से दुकान बनाने बनाने का प्रस्ताव रखा। 5 हजार अमानत राशि सभी को जमा करने की बात कही। इस योजना पर व्यापारी राजी हो गए थे, लेकिन प्रशासन ने पालिका को जगह ही नहीं दी।
गौरतलब है कि 1 साल पहले पालिका ने टाउन हाल के सामने खाली जगह में 8 बाई 8 की 6 दुकान का डेमो तैयार किया गया था, ताकि इसी प्रकार दुकानों का व्यापारी निर्माण कराएं। दुकान निर्माण में कम से कम डेढ़ से दो लाख रुपए प्रति दुकान खर्च है। इसलिए पालिका ने वेंडरों को जगह के आवंटन करने का निर्णय लिया। इसके एवज में व्यापारियों से 5-5 हजार रुपए अमानत राशि जमा कराई।
इसके चलते वेंडरों ने अमानत राशि भी जमा की, लेकिन आज भी जगह मिलने का इंतजार किया जा रहा है और जगह का अधिपत्य मिलने से पहले ही पालिका ने डेमो दुकानों का निमार्ण करने के साथ ही वहां सडक़, नाली, यूरिनल, पेयजल व्यवस्था आदि के लिए भी खर्च कर डाला।
इस मामले में आशीष तिवारी सीएमओ नगरपालिका परिषद महासमुंद का मीडिया से कहना है कि राष्ट्रीय राजमार्ग के दोनों ओर के फुटकर व्यापारियों के व्यवस्थापन की योजना थी। इस योजना में 170 दुकानों का प्रस्ताव था। इसके लिए उक्त दुकानदारों से 5-5 हजार रुपए अमानत राशि जमा कराई गई। कलेक्टर को बार-बार पत्र लिखने के बाद भी जमीन नहीं मिल पाई। इसलिए अमानत राशि लौटाने परिषद में प्रस्ताव रखेंगे। जब निर्णय लिया गया तो उम्मीद थी कि कलेक्टर जगह दे देंगे। इसके लिए डेमो दुकानें और नाली आदि भी बना दी गईं। नगरीय प्रशासन मंत्रालय से फंड मिलना था, जो नहीं हो पाया।