रायपुर
रायपुर, 26 सितंबर। कान्यकुब्ज ब्राह्मण समाज ने पितृमोक्ष के मौके पर श्रद्धांजलि कार्यक्रम रखा, और पितरों को स्मरण किया। इस मौके पर गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष राजेश्री महंत रामसुंदर दास ने कहा कि जो समाज श्रद्धापूर्वक धार्मिक भावना से संस्कारों का पालन करता है वह सदैव प्रशंसनीय होता है।
पितृमोक्ष अमावस्या के मौके पर 58 दिवंगतों को श्रद्धांजलि दी गई। कोरोना महामारी से जहां पूरा विश्व परेशान रहा वहीं ब्राह्मण समाज भी अछूता नही रहा। असमय मृत्यु के कारण बहुतों का पूर्ण रीतिरिवाजों के साथ सम्मानपूर्वक अंतिम संस्कार भी नहीं हो पाया था ऐसे सभी दिवंगत जनों को सामहिक। श्रद्धांजलि प्रदान करने का कार्यक्रम रखा गया था। लगातार बजती रामधुन से पूरा वातावरण भावुक रहा।
कार्यकम का बखूबी संचालन अपनी प्रतिभा के अनुरूप उपाध्यक्ष प. राघवेन्द्र मिश्र ने किया। कार्यक्रम में समाज के युवा कवि पं लक्ष्मीदत्त बाजपेयी के स्वरचित कविता पाठ से सभागार में उपस्थितजन भाव विभोर हो गए। संस्था के अध्यक्ष पं. अरूण शुक्ल ने अपनी नम आखों एवं रूचे गले से बताया कि जैसे-जैसे पीडि़त परिवारों से सम्पर्क होता जा रहा था वैसे वैसे कार्यक्रम की भावुकता एवं अनिवार्यता समझ में आती जा रही थी। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे महामाया मंदिर के सम्माननीय पुजारी पं. मनोज शुक्ल जी भी काफी भावुक हो गऐ उन्होंने असामयिक दु:खद निधन पर शोक प्रकट किया एवं उनके परिवारजनों को ढांढस बंधाया. उनकी स्मृति अक्षुण्य रखने हेतु एक एक पौधा रोपित करने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि अपनी सभ्यता व संस्कृति की रक्षा करना हमारा कर्तव्य होना चाहिए। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि गौसेवा आयोग के अध्यक्ष राजेश्री महंत रामसुंदर दास ने अपने मार्मिक उद्बोधन में संस्कारों का महत्व पितृपक्ष, तर्पण, श्राद्ध कार्य करने का अपने जीवन में क्या महत्व है के विषय में बताया।
संस्था के सचिव पं. सुरेश मिश्रा ने आभार प्रकट करते हुए बताया कि यह कार्यक्रम समाज द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में श्रेष्ठ रहा। सभागार की व्यवस्था एवं आयोजन में पं. रज्जन अग्निहोत्री का बहुमूल्य सहयोग प्राप्त हुआ।