रायपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 28 सितंबर। जन संस्कृति मंच के 16 वें राष्ट्रीय सम्मेलन 8-9 अक्टूबर को राजधानी में आयोजित किया गया है। इसमें कई ख्यातिप्राप्त लेखक शामिल होंगे। इनमें भंवर मेघवंशी कभी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ यानी आरएसएस से जुड़े थे। संघ में रहते हुए उन्होंने अनुभव किया कि वहां सिफऱ् एक कौम विशेष से नफरत करना ही सिखाया जाता है। मेघवंशी एक समय बाबरी मस्जिद को ध्वस्त करने भी निकले थे,लेकिन वे जब वे हकीकत से वाकिफ हुए तो फिर उन्होंने च् मैं एक कारसेवक था च् जैसी चर्चित पुस्तक लिखी.यह पुस्तक खूब बिकी,और आज भी बिकती है। इनके साथ ही ग्लोबल गांव के देवता, गायब होता देश और गूंगी रुलाई का कोरस जैसे चर्चित उपन्यासों के लेखक रणेन्द्र का भी आगमन हो रहा है।सम्मेलन में अपनी भागीदारी दर्ज करने के लिए देश के प्रसिद्ध मानवाधिकार कार्रवाई हिमांशु कुमार भी रायपुर आ रहे हैं। फ़ासीवाद के खिलाफ प्रतिरोध, आज़ादी और लोकतंत्र की संस्कृति की रक्षा के लिए आप सब भी इस सम्मेलन का हिस्सा बनेंगे तो हमारी एकजुटता को बल मिलेगा।
विकास...बंदूक की नॉल से जैसी फिल्म बनाकर चर्चित हुए फिल्मकार मेघनाथ गत तीन दशकों से झारखंड के उन लोगों के दु:ख-दर्द को दस्तावेज करने की कोशिश कर रहे हैं जिनकी आवाज़ कोई नहीं सुनता। अपनी फिल्मों के लिए दो बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीत चुके मेघनाथ भी आ रहे हैं।
कथाकार मनोज रुपड़ा वैसे तो दुर्ग छत्तीसगढ़ के निवासी है, लेकिन पिछले कुछ समय से नागपुर महाराष्ट्र में रह रहे है।जन संस्कृति मंच के 16 वें राष्ट्रीय सम्मेलन को लेकर उन्हें भरोसा है कि इस मर्तबा फ़ासीवाद से मुकाबले के लिए जमीनीं स्तर पर कोई ठोस रणनीति अवश्य बनेगी।