सरगुजा
पुरानी खदान पीईकेबी को रोकने का अधिकार केंद्र सरकार के पास
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
अम्बिकापुर, 28 सितंबर। हसदेव अरण्य क्षेत्र में 2011 में भाजपा की रमन सिंह सरकार द्वारा स्वीकृत परसा ईस्ट केते बासेन खदान के लिए 43 हेक्टेयर में वनों की कटाई का काम किया जा रहा है। कांग्रेस की सरकार ने स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव की पहल पर हसदेव अरण्य क्षेत्र को बचाने के लिए यहां खुलने वाली शेष तीन खदानों के लिए वन काटने की अनुमति निरस्त कर दी है। नई खदान न खुलने से हसदेव अरण्य क्षेत्र के बीस लाख से ज्यादा वृक्षों को बचाया जा सकेगा। भाजपा का विरोध केवल दिखावा है।
पुरानी खदान पीईकेबी को रोकने का अधिकार केंद्र सरकार के पास है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता औषधीय पादप बोर्ड के अध्यक्ष बालकृष्ण पाठक श्रम कल्याण मंडल के अध्यक्ष शफी अहमद, प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष डॉ. जेपी श्रीवास्तव, महामंत्री द्वितेंद्र मिश्रा, जिला पंचायत अध्यक्ष मधु सिंह, उपाध्यक्ष आदित्येश्वर शरण सिंह देव,महापौर डॉ अजय तिर्की, जिला कांग्रेस अध्यक्ष राकेश गुप्ता ने संयुक्त बयान जारी कर कहा है कि वर्ष 2011-12 में राज्य में भाजपा की सरकार थी, तब परसा ईस्ट केते बासेन खदान के लिए दो चरणों मे क्रमश: 841.538 एवम 1136.328 हेक्टेयर जमीन खदान के लिए आबंटित कर जंगल काटने की अनुमति दी थी। 2013 से ही यहां से कोयला उत्खनन प्रारंभ है। इसी स्वीकृति के तहत यहां 26 सितम्बर से 43 हेक्टेयर में वनों की कटाई की जा रही है। इसे रोकने के लिए ग्रामीण और पर्यावरण संरक्षण में लगे लोग सुप्रीम कोर्ट तक गए लेकिन राहत नहीं मिली। इस बीच 2017 में केंद्र की मोदी सरकार ने हसदेव अरण्य क्षेत्र में परसा कोल ब्लॉक को नीलाम कर खदान खोलने की प्रक्रिया शुरू कर दी। प्रभावित क्षेत्र के ग्रामीण इस खदान के विरोध में पिछले सात महीनों से जंगल मे बैठे है।
स्वास्थ्य मंत्री और स्थानीय विधायक टीएस सिंह देव ने उन्हें भरोसा दिया था कि ग्रामीणों की सहमति के बिना एक भी खदान नहीं खुलने देंगे। उनकी पहल पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने नए खदान खोलने नहीं देने का आदेश दिया है।
भाजपा का विरोध दिखावा, खदान रोकने के लिए पीएमओ तक निकाले मार्च
जिला कांग्रेस कमेटी ने कहा कि हसदेव अरण्य क्षेत्र को उजाडऩे की अनुमति देने वाले भाजपाई सत्ता जाने के बाद लोगों में भ्रम फैला रहे हैं। वन विभाग पूर्व में जारी की गई अनुमति और आंदोलनकारियों की सहमति के आधार पर फिलहाल सिर्फ 43 हेक्टेयर वनों की कटाई कर रही है।
वृक्षों की कटाई के संदर्भ में भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के द्वारा किया जा रहा विरोध केवल दिखावा व ओछी राजनीति का हिस्सा है। पुरानी खदान पीईकेबी की स्वीकृति निरस्त करने का अधिकार केंद्र सरकार के पास है। ऐसी स्थिति में बीजेपी का विरोध प्रदर्शन करना बिल्कुल भी न्याय संगत नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर सच में भारतीय जनता पार्टी के नेता लोगों का हित चाहते हैं तो खदानों को निरस्त करने के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय तक मार्च निकालना चाहिए।
नई खदानों की मंजूरी से जन्मा आंदोलन
जिला कांग्रेस कमेटी ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के कार्यकाल के दौरान 2017 में असंवैधानिक तरीके से नई खदानों को स्वीकृत देने के कारण आंदोलन ने जन्म लिया। अगर बीजेपी सरकार 2017 में ही ग्रामीणों की मंशा अनुरूप बिना प्रशासनिक दबाव से परसा समेत अन्य माइंस को लेकर प्रक्रिया शुरु ना करती तो आज यह आंदोलन न होता और न ही कांग्रेस द्वारा नई माइंस को बचाने के लिए पहल करनी पड़ती।
प्रशासनिक चूक से उपजा भ्रम
परसा ईस्ट केते बासेन के पेड़ों की कटाई को लेकर प्रशासनिक चूक से भ्रम की स्थिति निर्मित हो गई है। वहां ग्रामीणों की सहमति और पूर्व की अनुमति के आधार पर सिर्फ 42 एकड़ में वनों की कटाई की जा रही है। प्रशासन को प्रभावित वन क्षेत्र को स्पष्ट चिन्हांकित कर आमजनों को भरोसे में लेकर दिन के उजाले में कार्यवाही करनी चाहिए थी।