सरगुजा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
अंबिकापुर, 29 सितंबर। हसदेव क्षेत्र में एक दशक से भी अधिक समय से चल रहे पेड़ कटाई और पेड़ लगाई विवाद में सर्वाधिक नुकसान भावी पीढिय़ों को हुआ। स्वास्थ्य, शिक्षा और आजीविका और नीचे गई। बुधवार को उक्त बातें प्रेस वार्ता के दौरान नंगे पांव सत्याग्रह के राजेश सिंह सिसोदिया ने कही।
उन्होंने कहा कि नंगे पांव सत्याग्रह का सरोकार क्षेत्र में पढ़ाई, कमाई और दवाई से है। इन तीनों मुद्दों पर सामाजिक, राजनीतिक व आर्थिक नेतृत्व द्वारा नजरअंदाज किया जाना बेहद अफसोसजनक है। हमारा सरोकार सरगुजा संभाग के हसदेव क्षेत्र में उपरोक्त मुद्दों को लेकर हालांकि नया नया है, हमने वर्ष 2012-13 में धोखाधड़ी पीडि़त केते परसा निवासी भज्जू राम गोंड का मुद्दा दमदारी से लड़ा था और दोषी जेल दाखिल हुआ। यहां भज्जू राम अनेकों होंगे, लेकिन दुर्भाग्यवश ज्यादातर दोषी प्रभावशाली लोग रहे, इसलिए किसी का ध्यान ऐसी घटनाओं पर नहीं गया।
राजनीतिक नेतृत्व ने वहां स्थानीय नेता भी पैदा नहीं होने दिया, ले देकर एक ही नाम नजर आता है और वो है बालसाय कोर्राम। उन्हें भी बलि का बकरा बनाया जा रहा है, आंदोलन करते समय नेता गण और जेल जाने के लिए कोर्राम। गोंडवाना गणतंत्र पार्टी को छोडक़र सभी राजनीतिक दल पशोपेश की स्थिति में हैं, इसलिए सामाजिक क्षेत्र का दायित्व और बढ़ जाता है और इसीलिए हमें हस्तक्षेप करना पड़ा।
ताजी जनगणना के मुताबिक गोंड़ -कंवर बाहुल्य साल्ही में 1315 की जनसंख्या में मात्र 730 लोग साक्षर हैं; घाटबर्रा में 1395 में मात्र 642, हरिहरपुर में 298 में मात्र 139, जनार्दनपुर में 423 में 200 और फतेहपुर में 469 में 209 लोग साक्षर हैं। साक्षरता की स्थिति जब पचास फीसद से नीचे है तो शिक्षा की स्थिति निश्चित ही सोचनीय होगी। स्वास्थ्य की मुख्य समस्याओं में चर्मरोग व रक्त की अल्पता है। भवन विहिन अस्पताल भी क्षेत्र में है।आजीविका मिशन की स्थिति और विचित्र व आश्चर्यजनक है, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन सिर्फ और सिर्फ कागजों में है।
वर्तमान ही जब दुरूस्त नहीं है तो भविष्य का क्या होगा? हमने हमेशा आगे की सोची है, 23 साल पहले जब नंगे पांव हुए थे, उस समय हमारे द्वारा उठाए गए मुद्दे आज की नीतियां हैं।
ठीक इसी तरह आज जो मुद्दे उठाए जा रहे हैं, उनका परिणाम हसदेव क्षेत्र का विकास और शोषण मुक्त हसदेव होगा। आने वाले समय में यहां से प्रशासनिक अधिकारी व विधायक होंगे। यहां के लोग अपनी दशा व दिशा खुद तय करेंगे।