दुर्ग

सुराना महाविद्यालय में संत कबीर पर राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी
01-Oct-2022 3:36 PM
सुराना महाविद्यालय में संत कबीर पर राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
दुर्ग, 1 अक्टूबर।
सेठ आर. सी. एस. कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय एंव हेमचंद यादव विश्वविद्यालय दुर्ग के संयुक्त तत्वावधान में हिन्दी एंव समाजशास्त्र विभाग द्वारा संत कबीर जीवन मूल्य एंव समाज दर्शन विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन 28 एवं 29 सितंबर को महाविद्यालय में किया गया।

संगोष्ठी के प्रथम दिवस उद्घाटन सत्र के मु य अतिथि हेमचंद यादव विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. अरूणा पल्टा थीं एंव मु य वक्ता के रूप में महाराष्ट्र के अकोला से डॉ. निभा एस. उपाध्याय ने जीवन मूल्य के संदर्भ में कबीर पर अपना उद्बोधन प्रस्तुत किया। सत्र के अध्यक्षता के लिए डॉ. महेश चन्द्र शर्मा पूर्व प्राचार्य ने अपनी गरिमामयी उपस्थिति प्रदान की और अपना उद्बोधन प्रस्तुत किया। संगोष्ठी के द्वितीय सत्र के मु य वक्ता आचार्य श्री बालचंद कछवाहा पूर्व विभागाध्यक्ष हिन्दी, दुर्गा महाविद्यालय रायपुर ने कबीर के भाव को व्यक्त किया एंव धर्म और संस्कृति के बारे में अपना व्या यान प्रस्तुत किया। अध्यक्षता कर रहे डॉ. रंजना शर्मा विभागाध्यक्ष दर्शनशास्त्र दुर्गा महाविद्यालय रायपुर ने कबीर के साखियों को दर्शनशास्त्र की दृष्टिकोण से समझाया। जिला शिक्षण समिति दुर्ग के अध्यक्ष  प्रवीण चन्द्र तिवारी एंव महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. गजानंद कटहरे ने भी कबीर के दोहों की प्रासंगिकता पर अपनी बात रखी। संगोष्ठी के द्वितीय दिवस तृतीय सत्र के मु य अतिथि डॉ. एल. एस. गजपाल एसोसिएट प्रोफेसर, समाजशास्त्र, पं0 रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर एंव अध्यक्षता के लिए डॉ. प्रशांत श्रीवास्तव अधिष्ठाता छात्र कल्याण हेमचंद यादव विश्वविद्यालय दुर्ग अपनी उपस्थिति प्रदान की एंव संत कबीर एंव उनके दोहों की प्रासंगिकता पर अपना उद्बोधन प्रस्तुत किया।

विशेष सत्र के मु य अतिथि ताम्रध्वज साहू, गृहमंत्री छत्तीसगढ़ शासन ने अपनी उपस्थिति प्रदान की और उद्बोधन प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि कबीर पंथ का मतलब है रास्ता और व्यक्ति को उनके बताये हुए रास्ते पर चलना चाहिए। कबीर पंथ मानव जीवन के कल्याण के लिए काम करता है। समापन सत्र के मु य अतिथि कबीर आश्रम सूरत गुजरात के संत गुरूभूषण साहब ने अपने उद्बोधन में कहा कि कबीर के विचार हमारे जीवन के हिस्से हैं। हम अपने नियमों का पालन करें तथा दूसरे के नियमों का आदर करें। संगोष्ठी के संयोजक डॉ. दुर्गा शुक्ला एंव डॉ. उमेश वैद्य थे।

कार्यक्रम का संचालन डॉ. दुर्गा शुक्ला, डॉ. पूजा मल्होत्र एवं पवनदीप कौर ने की। विभिन्न महाविद्यालयों के प्राध्यापक, शोधार्थी एंव छात्र-छात्राएँ उपस्थित होकर संगोष्ठी का लाभ उठाया।
 

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