रायपुर

सोशल मीडिया-आईटी सेल में खर्चों को लेकर गदर, हाईकमान को शिकायत
06-Oct-2022 2:37 PM
सोशल मीडिया-आईटी सेल में खर्चों को लेकर गदर, हाईकमान को शिकायत

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 6 अक्टूबर।
अगले वर्ष इन्हीं दिनों में चुनाव होना है। पार्टियां प्रचार के हर माध्यमों का जमकर इस्तेमाल में लग गई है लेकिन एक राष्ट्रीय दल का आईटी सोशल मीडिया सेल, दूसरे राष्ट्रीय दल के सेल से मीलों पीछे चल रहा है। ऐसा नहीं है कि सेल में अधो संरचना के विकास में कमजोर हो। 5 करोड़ रूपए खर्च कर दोनों सेल को तकनीकी रूप से मजबूत किया गया है। इन खर्चों को लेकर दल में गदर है, और इसकी हाईकमान से शिकायत की गई है। सूत्रों के अनुसार 2014 के बाद से इस पार्टी के सोशल मीडिया, आईटी सेल की भूमिका शून्य सी हो गयी है। दो वर्ष पूर्व अलग-अलग हुए दोनों सेल के प्रभारी पार्टी की रीति-नीति से वाकिफ नहीं है। इनमें से एक प्रभारी का तो एक वर्ष से भी अधिक समय से सोशल मीडिया प्लेटफाम्र्स पर एक अदर पोस्ट नहीं है। वह लिखता भी नहीं है। इंजीनियरिंग में स्नातकोत्तर उपाधिधारी यह प्रभारी की वाक पहुंचाना भी नजर नहीं आती।

इस सेल के प्रभारी का तो रोजाना रायपुर आना होता नहीं है, वह केवल भाजपा या अपने सेल की बैठकों के दौरान ही कार्यालय में नजर  आते हैं। आईटी सेल के कर्ताधर्ताओं की भी कुछ ऐसी ही स्थिति है। अपने नेताओं की पत्रकारवार्ताएं लाइव प्रसारित करने भर की भूमिका रह गयी है। उसमें भी गलती होती है। हाल में दल के नए नवेले नेताजी की पीसी लाइव थी। 35 मिनट तक नेताजी का चेहरा उल्टा नजर आया। जबकि यह पेज वेरीफायड पेज था।

ये दोनों सेल वर्षों से एक ही नेता के प्रभार में रहे हैं। इन्होंने सोशल मीडिया आईटी सेल के कार्यालयों को तकनीकी रूप से सुसज्जित करने करोड़ों (5 करोड़) रूपए खर्च कराए। किन्तु अब ये सब उपयोग में नहीं लाए जा रहे। शायद यह एक मात्र दल होगा जिसका अपना कॉल सेंटर होगा, लेकिन यह भी सफेद हाथी की तरह। इसके अलावा सेल के नेता, सर्वे के नाम पर पार्टी फंड का यदा कदा इस्तेमाल करते हैं।

आईटी और सोशल मीडिया के दो वरिष्ठ नेता दो राष्ट्रीय उपक्रमों में सदस्य के रूप में भी लाखों का मासिक मानदेय हासिल करते हैं। सारा ध्यान, उन्हीं उपक्रमों में होने की वजह पार्टी के दोनों सेल की भूमिका, सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर नजर नहीं आती। दर असल, सेल के कर्ताधर्ताओं का संगठन के ही नंबर दो कहलाने वाले नेताजी का वरदहस्त प्राप्त है। वे सेल के इन नेताओं को छोड़ किसी पर भरोसा नहीं करते। इसलिए पार्टी के सभी प्रकोष्ठों में बदलाव हुआ लेकिन इनकी कुर्सी बची रही। आईटी-सोशल मीडिया सेल की भूमिका को लेकर स्थानीय नेताओं ने पार्टी हाईकमान को शिकायत भी की है। उसी शिकायत के हवाले से ही इन बातों का खुलासा हुआ है।

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