धमतरी
पुतले के मिट्टी को अपने साथ ले गए ग्रामीण
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
नगरी, 7 अक्टूबर। सिहावा गढ़ के छिपली पारा में परम्परानुसार दशहरा पर सहस्त्रबाहु रावण का वध माता शीतला के खड्ग से हुआ। सैकड़ों साल पुरानी इस ऐतिहासिक परम्परा को देखने हमेशा की तरह ग्रामीणों की भीड़ रही। इस स्थान में महिलाओं का जाना प्रतिबंधित था।
शीतला मंदिर से प्रमुख पुजारी शीतला माता के खड्ग को लेकर सिहावा गढ़ के देव विग्रहो के साथ गांव का भ्रमण कर थाना पहुंचे। यहाँ सिहावा पुलिस द्वारा चांद मारी की गई। तदुपरांत पुजारी खड्ग लेकर सहस्त्रबाहु रावण का वध किया।फिर ग्रामीण विजय का प्रतीक मानकर सहस्त्रबाहु के पुतले की मिट्टी को नोचकर अपने साथ ले गये। सिहावा शीतला शक्ति पीठ के अध्यक्ष कैलाश पवार ने बताया कि ये परम्परा सदियों से चली आ रही है मिट्टी के नग्न सहस्त्रबाहु रावण का एकादशी के दिन माता शीतला के खड्ग से वध होता है।
मान्यता है कि जब भगवान राम ने लंकापति रावण का वध कर सीता मैया से मिले तब सीता माता ने उन्हें बताया कि अभी युद्ध खत्म नही हुआ है अभी आपको सहस्त्रबाहु का वध करना है तब भगवान राम ने सहस्त्रबाहु पर आक्रमण किया लेकिन ब्रम्हा से मिले वरदान के चलते श्रीराम चन्द्र जी उनका वध नही कर पाये।फिर मर्यादा तोड़ते हुए सहस्त्रबाहु सीता माता के सामने नग्न होकर ललकारने लगे तब सीता माता ने आदि शक्ति का रुप धारण कर अपने खड्ग सहस्त्रबाहु रावण का वध किया।फिर माता शांत होकर धरती में समाहित हो गई।शीतला माता के उद्भव के बाद से आज तक छिपलीपारा में मिट्टी के नग्न सहस्त्रबाहु का वध हो रहा है।
इस दौरान शीतला शक्ति पीठ के अध्यक्ष कैलाश पवार,कलम सिंह पवार, नेम सिंह बिशेन,नरेंद्र नाग, नारद निषाद, बुधेश्वर साहू, गेंद लाल यादव, तुकाराम साहू, गोरख शांडिल्य, गेंद लाल शाण्डिल्य, पुजारी तुकाराम बैस, ज्ञान सागर पटेल,महेश शाण्डिल्य, बलदेव निषाद, राजकुमार निषाद, छबि ठाकुर,रवि ठाकुर, रामलाल नेताम, उत्तम साहू, भरत निर्मलकर रामभरोस साहू, सचिन भंसाली, गगन नाहटा, किशन गजेंद्र, महेंद्र कौशल, कुँवर साहू, बबलू गुप्ता, मंशा राम साहू, जग्गू साहू, उदय राम साहू, मदन साहू, नरेश पटेल , टीकू ध्रुव, लोकेश पवार, सरस साहू, फडेन्द्र पवार, महेश साहू, लाल जी साहू, दशे लाल ध्रुव, भरत लहरे, राजेश यदु, ललित निर्मलकर, कृपा राम नेताम, राजेन्द्र पूरी गोस्वामी, मिथलेश कश्यप, महेंद्र साहू अभय नेताम, ध्रुव शाण्डिल्य, खिऱभान शाण्डिल्य आदि की उपस्थिति रही।