कोरिया
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बैकुंठपुर, 13 नवंबर। एमसीबी जिले के दूरस्थ भरतपुर के गोठान का सोलर पंप बीते 4 माह से खराब है, सरपंच-सचिव इन पंपों की देखरेख करने वाले सौर ऊर्जा के मैकेनिक के चक्कर लगा कर थक चुके हंै, मैकेनिक है कि टका सा जवाब दे रहा है, आउंगा तब बनाउंगा अभी नहीं आ रहा हूं, मेरे पास 350 पंपों की देखरेख का जिम्मा है, हर पंप तक तो पहुंच नहीं पाउंगा, दूसरी ओर वर्मीकम्पोस्ट खाद नहीं बन पा रही है, वहीं यहां आवर्ती चराई योजना के तहत लगाए गए 30 हजार पौधे सूखने की कगार पर है। परन्तु सौर ऊर्जा विभाग गहरी नींद मेंं है।
इस संबंध में क्षेत्र में सौर ऊर्जा पंपों की देखरेख का काम देख रहे मोहन सोनी का कहना है कि मुझे किसी ने नहीं बताया कि पंप खराब है, इस महिने सचिव के साथ एक और व्यक्ति का फोन आया था, अब इस महिने 15 से 20 नवंबर तक मेरा टूर बनेगा तो जाकर देखूंगा, वायर में गड़बड़ी होगी तो ठीक कर दूंगा नहीं तो कंपनी वालों का कहूंगा। जब उनसे सवाल किया गया कि पिछले महिने के टूर पर जब आप गए तो उस क्षेत्र के बंद पंपों का सुधार क्यों नहीं किया, तो उनका कहना है कि मेरे पास 350 पंपों की देखरेख का जिम्मा है हर पंप तक मंै नहीं पहुंच सकता।
जानकारी के अनुसार एमसीबी जिले के भरतपुर के ग्राम पंचायत मलकडोल में गोठान में सौर ऊर्जा विभाग के द्वारा सौलर पंप लगवाया गया है। यहां लगा सौर उर्जा पंप बीते 4 माह से बंद पड़ा हुआ हैं, ऐसा नहीं है कि पंप को सुधरवाने का प्रयास नहीं किया गया, पंचायत के सरपंच और सचिव ने कई बार क्षेत्र के सौर उर्जा के मैकेनिक को पंप का सुधरवाने की गुजरिश की, परन्तु मैकेनिक की बात करने की शैली से दोनो थकहार गए, सीधे मुंह जवाब नहीं मिलने से दोनों परेशान है।
दरअसल, इस गोठान में वर्मी कम्पोस्ट खाद तैयार किया जा रहा है, परन्तु पंप के खराब होने से इस काम में ब्रेेक लगा हुआ है, साथ ही आवर्ती चराई योजना के तहत इस गोठान में 30 हजार विभिन्न जड़ी बूटियों के पौधे लगे हुए हैं, जो सूखते जा रहे हंै, जिसे लेकर सरपंच व सचिव बेहद चिंतित हंै, परन्तु मैकेनिक है कि उनकी सुनना ही नहीं चाहता है जिससे गोठान में परेशानियां बढ़ती जा रही है।
गौरतलब है कि दूरस्थ क्षेत्रों मे लगे सौर उर्जा पंपों का हाल बेहाल है, दर्जनों सौर पंप बंद है, विभाग को इन किसानों की सुध नहीं है। बैकुंठपुर में बैठे सौर उर्जा के अधिकारी कभी ऐसे क्षेत्रों का दौरा नहीं करते हैं, वहीं विभाग का मैदानी अमला लोगों से सीधे मुंह बात तक नहीं करता है।