बेमेतरा
आशीष मिश्रा
बेमेतरा, 26 नवंबर(‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता)। परिवार नियोजन के लिए पुरुष वर्ग को आगे लाने के सारे जतन फेल होते दिख रहे हैं। पुरुषों की मानसिकता में बहुत ज्यादा फर्क नहीं आया है। आज भी वही रुढि़वादी सोच है, जिसमें परिवार नियोजन की जिम्मेदारी महिलाओं पर डाल दी गई।
परिवार नियोजन के आंकड़ों के मुताबिक जिले में नसबंदी के लिए महिलाओं का आंकड़ा पुरुषों ने 10 गुना अधिक है। स्वास्थ विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक नसबंदी ऑपरेशन को लेकर पुरुषों में व्याप्त भ्रातिया दूर नहीं हुई है। बीते सत्र और वर्तमान सत्र में केवल 76 पुरुषों ने एनएसवी ऑपरेशन यानीे पुरुष नसबंदी कराई। इसके विपरीत 1265 महिलाओं ने नसंबदी का रास्ता चुना।
महिलाओं की उत्साहित सहभागिता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जिला अस्पताल में एक दिन में 30 से अधिक महिलाओं का ऑपरेशन किया गया। जबकि इससे अधिक महिलाओं को ऑपरेशन की तारीख दी गई। विपरित इसके पुरुषों को नसबंदी के लिए तलाशना पड़ रहा है।
जिला अस्पताल में हर हफ्ते सोमवार, बुधवार एवं शनिवार को परिवार नियोजन ऑपरेशन किया जाता है। अस्पताल में 21 जुलाई से 30 अक्टूबर तक सिर्फ 23 पुरुष नसबंदी का ऑपरेशन किया गया। आंकड़ों के मुताबिक जुलाई 2021 में 4 ऑपरेशन हुए। वहीं नवंबर में 8 ऑपरेशन किए गए। दिसंबर में यह आंकड़ा फिर से गिरकर 5 ऑपरेशन पर पहुंच गया।
रायपुर के सर्जन ने किया ऑपरेशन
पांच माह पूर्व जिले के दो सरकारी अस्पताल में एक दिन में 19 पुरुष नसबंदी ऑपरेशन किए गए। रायपुर के सर्जन डॉ. ए टोंडर एवं डॉ. संजय नवल ने ऑपरेशन किए थे।
मिलती है प्रोत्साहन राशि
नसबंदी अभियान को लेकर सरकार हर तरह के जतन कर रही है। नसबंदी कराने पर पुरुषों को तीन हजार रुपए दिया जाता है, वहीं महिलाओं को दो हजार रुपए की प्रोत्साहन की राशि मिली है। वहीं पुरुष और महिला को जागरुक कर केंद्र तक पहुंचाने वाले व्यक्ति को भी सम्मान के रूप में कुछ राशि शासन उपलब्ध कराता है। विशेषज्ञों का कहना है कि महिला की अपेक्षा पुरुष नसबंदी सरल और सुरक्षित है। पुरुष नसबंदी के बाद तुरंत अपने घर जा सकते हैं, अपने सारे काम भी कर सकते हैं। उन्हें अस्पताल में एडमिट होने की जरूरत नहीं है।
मौजूद नहीं है सर्जन
इस साल जनवरी में एक ऑपरेशन हुआ और जुलाई में एक दिन में 5 ऑपरशन किए गए। इसके बाद अब तक एक भी ऑपरेशन पुरुष नसबंदी का नहीं हुआ है। अब फिर इस वर्ग को प्रोत्साहित करने पखवाड़ा मनाया जा रहा है। कार्यक्रम 4 दिसंबर तक जारी रहेंगे। नोडल अधिकारी डॉ. प्रदीप घोष ने बताया कि एनएसवी ऑपरशन के लिए जिला अस्पताल में सर्जन नहीं है। पूर्व में पदस्थ सर्जन के स्थानतरण के बाद अन्य सर्जन की पदस्थापना नहीं हुई।
डॉ.प्रदीप घोष , जिला नोडल अधिकारी-बेेमेतरा का कहना है कि जिले में सर्जन की जरूरत है। सर्जन नहीं होने की बात सुन कर भी पुरुष मना कर देते हैं। हमने शासन को जानकारी दी है। फिलहाल अस्थाई तौर पर 29 नंवबर और 4 दिसंबर को रायपुर के सर्जन आकर साजा व बेरला अस्पाताल में पुरुष नसबंदी ऑपरेशन करेंगे।