महासमुन्द

जिले के किसान खेतों को आग के हवाले कर रहे
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 27 नवंबर। जैसे-जैसे खेतों में धान की कटाई हो रही है किसान अपने खेतों को आग के हवाले कर रहे हैं। इससे खेतों में रह गए पुआल के हिस्से जलकर राख हो रहे हैं और खेत की मिट्टी जलकर पक रही है और मिट्टी से नाइट्रोजन, फ ास्फ ोरस, सल्फर भी खत्म हो रहा है। सरकार और जिला प्रशासन भी लगातार किसानों से अपील कर रही है कि खेतों में पुआल न जलाएं लेकिन किसान हैं कि किसी का नहीं सुन रहे हैं और लगातार खेतों को आग के हवाले किया जा रहा है। इससे कांटें आदि तो नष्ट हो रहे हैं लेकिन इसकी धुआं से हवा में विषैले तत्व जरूर फैल रहे हैं। मिट्टी की गुणवत्ता समाप्त हो रही है, सो अलग।
किसानों से अपील करते हुए जिले के वन मंडलाधिकारी पंकज सिंह राजपूज कहते हैं कि आग में जलकर मिट्टी पक जाती है, उसमें पानी सोखने की क्षमता खत्म हो जाती है और बीज ऊग नहीं पाते हैं। आग से लगातार पठल रही खेतों में भविष्य में खेती करना असंभव हो सकता है और इस क्षति का मुआवजा नामुमकिन है। किसानों से निवेदन है कि अपनी पूंजी को आग में मत झोंकिए,इस विरासत को पीढिय़ों के लिए बचा लीजिए।
मालूम हो कि महासमुंद जिले में धान की कटाई अंतिम चरण में है। किसान अपनी धान खेतों से खलिहानों तक ला रहे हैं। बहुत से किसानों की उपज धान खरीदी केंद्रों तक पहुंच रही है। कुछ किसानों में अपने खेतों में धान के बाज ङ्क्षतवरा, अलसी, गेहूं, चना आदि की फसल ली है और अधिकांश किसानों के खेत धान कटते ही खाली हो चुके हैं। इन खाली खेतों को किसान आग के हवाले कर रहे हैं। खेतों का दावानल आसपास के खेतों की जमीन को भी बंजर बना रहा है। किसान सोच रहे हैं कि आग लगाने से खेतों के खरपतवार जलकर नष्ट हो रहे हैं।
इस मामले में कांग्रेस जिला अध्यक्ष डा. रश्मि चंद्राकर ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि महासमुंद जिले के कृषकों को पैरा दान करने हेतु निवेदन किया गया और कहा है कि पैरा अथवा उसके ठूंठ को खेत में जला देने से मिट्टी में उपलब्ध नाइट्रोजन, फ ास्फ ोरस, सल्फर का नुकसान होता है साथ ही कृषकों के मित्र कीट मर जाते हंै। इससे आने वाले समय में खेती में काफ ी नुकसान होता है। डा. रश्मि चंद्राकर ने अपने वक्तव्य में बताया है कि प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल भी हमेशा से किसानों के हित में नए-नए फैसले लेते आए हैं। एक वक्त था जब ग्रामीणों के पास बैंक खाते नहीं होते थे। क्योंकि उनके पास पैसे नहीं होते थे। लेकिन आज सभी ग्रामीणों के बैंक खाते हैं और राजीव गांधी किसान न्याय योजना, गौधन न्याय योजना की राशि किसानों के खाते में छत्तीसगढ़ शासन निरंतर भेज रही है।