कांकेर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कांकेर, 29 नवंबर। संसदीय सचिव एवं विधायक कांकेर शिशुपाल शोरी प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा कि तथाकथित सर्व आदिवासी समाज के नाम पर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में भानुप्रतापपुर विधानसभा उप निर्वाचन में चुनाव लड़ रहे अकबर राम कोर्राम द्वारा भ्रम फैलाया जा रहा है कि राज्य सरकार को आरक्षण देने का अधिकार नहीं है?
विधानसभा का विशेष सत्र चुनावी हथकंडा है? यदि वह एैसा मानते है कि तो यह बताये कि आरक्षण देने का अधिकार किसे है? वह यह भी कहते है कि वे शासकीय अधिकारी थे और उन्हें कानून का ज्ञान है, मैं श्री कोर्राम को चुनौती देता हूं कि राज्य में आरक्षण व्यवस्था की सम्पूर्ण जवाबदारी राज्य सरकार से इतर कोई अन्य व्यवस्था हो तो वे बताये?
श्री कोर्राम यह भी बताये कि क्या भाजपा सरकार के द्वारा वर्ष 2011 में अधिनियमित आरक्षण अधिनियम एवं 2012 में नोटिफिकेशन के माध्यम से अनुसूचित जाति/जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग को 58 प्रतिशत का आरक्षण दिया गया था क्या वह उसे भी राज्य सरकार के क्षेत्राधिकार से बाहर होने के कारण के अनुचित मानतेे है। श्री कोर्राम एकतरफ तो आरक्षण व्यवस्था पर राज्य सरकार का अधिकार नहीं मानते एवं दूसरी तरफ कांग्रेस सरकार को कोसते है कि भाजपा सरकार द्वारा लगाये गये 58 प्रतिशत आरक्षण विधेयक एवं अधिसूचना का बचाव ठीक से नहीं किया गया इस तरह की दोमुही बाते सिर्फ और सिर्फ आदिवासी समाज को गुमराह एवं भ्रामक बाते करने के लिए श्री कोर्राम के द्वारा किया जा रहा है।
समाज के नाम पर राजनीति करने वाले कुछ लोग लगातार आदिवासी समाज को बरगलाने का कार्य कर रहे है जिन व्यक्तियों को राजनीतिक दलों ने नकार दिया है जिनका केाई जनाधार नहीं है एैसे व्यक्ति समाज के आड़ में राजनीतिक हथकंडे अपना कर अपना राजनीतिक भविष्य बनाना चाहते है किन्तु आदिवासी समाज अब समझ गया है कि उनके भविष्य का फैसला टुटपुंजवे नेता नहीं बल्कि संवैधानिक ढंग से ही हो सकता है इसलिए राज्य सरकार द्वारा राज्य में रहने वाले सभी वर्गों के हितों की रक्षा हेतु विधि सम्मत कार्यवाही कर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर आरक्षण के संबंध में न्याय संगत निर्णय लिये जाने की उम्मीद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से कर रहे वे सभी वर्गों के साथ न्याय होगा, सभी वर्ग के लोगों को उनके जनसंख्या के अनुपात में सरकारी नौकरियों में आरक्षण दिये जायेंगे। क्या समाज के नाम से उम्मीदवार खड़े हो जाने से समाज की समस्याओं का समाधान होगा? समस्याओं का निराकरण प्रजातांत्रिक ढंग से विधानसभा में ही होगा।
कांकेर जिला अनुसूचित क्षेत्र के अन्तर्गत आता है यहां आदिवासी वर्ग के प्रत्याशी हीं चुनाव लड़ सकते है एैसे में क्या अन्य राजनीतिक पार्टियों से चुनाव लडऩे वाले उम्मीदवारों को समाज से बहिष्कृत एवं अर्थदण्ड लगाने की हिम्मत किसी व्यक्ति में है। जाति के आधार पर सामाजिक सद्भाव को बिगाडऩे वाले एवं अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए समाज को बांटने वाले व्यक्तियों से सावधान रहने का समय आ गया है। न समाज बंटेगा और न किसी के जोर जबरदस्ती से किसी के पक्ष में मतदान करेंगे बल्कि एक जागरूक मतदाता बनकर अपने मताधिकार का प्रयोग बिना किसी भय या दबाव के अपने पसंदीद उम्मीदवार के पक्ष में करेंगे।