सरगुजा

करोड़ों के घोटाले पर जिला अदालत ने एफआईआर करने दिया आदेश, सरकारी राशि गबन का मामला
03-Dec-2022 8:02 PM
करोड़ों के घोटाले पर जिला अदालत ने एफआईआर  करने दिया आदेश, सरकारी राशि गबन का मामला

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता 
अम्बिकापुर, 3 दिसंबर।
सरगुजा जिले के सर्वशिक्षा अभियान के अंतर्गत राजीव गांधी शिक्षा मिशन के तहत वर्ष 2011-12 एवं 2012-13 में प्राथमिक शाला/ माध्यमिक शाला भवनों में विद्युतीकरण के कार्यों में फर्जी बिल वाउचर लगाकर करोड़ों की शासकीय राशि के गबन करने के संबंध में मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी अंबिकापुर ने एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है।

उक्त मामले में डीके सोनी अधिवक्ता एवं आरटीआई कार्यकर्ता द्वारा 3 नवंबर को एक परिवाद धारा 156(3) के तहत मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी अंबिकापुर के न्यायालय में प्रस्तुत किया गया था, जिसमें उल्लेख किया गया था कि वर्ष 2011-12 तथा 2012-13 में सर्वशिक्षा अभियान के तहत प्राथमिक एवं माध्यमिक शाला में कुल 1005 शालाओं में विद्युतीकरण कार्य हेतु 30,000 प्रति शाला के मान से रुपए तीन करोड़ एक लाख पचास हजार की स्वीकृति प्रदान की गई थी। शालाओं में बिना विद्युतीकरण कार्य किए राशि का भुगतान संबंधित ठेकेदार को कर दिया गया है तथा पूर्णता प्रमाण भी जारी किया जा चुका है।

उक्त कार्यों के संबंध में एक शिकायत कमिश्नर सरगुजा के समक्ष किया गया था, जिसके आधार पर एक जांच दल का गठन करने का आदेश दिया गया था। जांच दल के द्वारा प्राप्त शिकायत के संबंध में विधिवत जांच की गई तथा 2 मई 2015 को जांच कर जांच प्रतिवेदन प्रमुख सचिव छत्तीसगढ़ शासन लोक निर्माण विभाग मंत्रालय रायपुर को भेजा गया।

उक्त जांच प्रतिवेदन में यह उल्लेख किया गया कि 1)अनुबंध क्रमांक 303/डी. एल./ 2012-13 के तहत माध्यमिक शाला डीएल 2012-13 के तहत 7 नग माध्यमिक शाला 2) अनुबंध  क्रमांक 304/डी.एल./ 2012-13 के तहत 8 नग माध्यमिक शाला 3)अनुबंध 328/डी.एल./2012-13 के तहत 4 नग माध्यमिक शाला एवं 10 नग प्राथमिक शाला 4) अनुबंध क्रमांक 329/डी.एल./2012-13 के तहत 9 नग माध्यमिक एवं 6 नग प्राथमिक शाला 5) अनुबंध क्रमांक 337/डी.एल. 2012-13 के तहत 8 नग माध्यमिक शाला 6) अनुबंध क्रमांक 340/डी.एल. 2012-13 के तहत 14 प्राथमिक शाला 7) अनुबंध क्रमांक 339/डी.एल. 2012-13 के तहत 14 प्राथमिक शाला 8) अनुबंध क्रमांक 264/डी.एल/2012-13 के तहत 14 नग प्राथमिक शाला का स्थल परीक्षण कर वहां पदस्थ प्रधान पाठकों का बयान दर्ज किया गया है।

निरीक्षण के दौरान उक्त शाला में विद्युतीकरण नहीं होना पाया गया है। उपरोक्त विद्युतीकरण कार्य हेतु कार्यपालन अभियंता, लोक निर्माण विभाग(वि./यां) को कार्य एजेंसी नियुक्त किया गया था, जिसके द्वारा ठेके के माध्यम से कार्य संपादित होना बताया जाकर संपूर्ण राशि का भुगतान कर दिया गया है। इस तरह बिना कार्य के भुगतान होना बताया गया है।

 उपरोक्त सभी कार्यों का फर्जी मूल्यांकन तथा मेजऱमेंट अधिकारी और ठेकेदार के द्वारा किया गया और उपरोक्त कार्य के करोड़ों रुपए की राशि का भुगतान भी फर्जी दस्तावेज के आधार पर तत्कालीन प्रभारी कार्यपालन अभियंता एचएल शर्मा मूल पद सहायक अभियंता एवं एसडीओ रीता सेन तथा सब इंजीनियर रूपाली सिन्हा एवं सीमा साहू के द्वारा किया गया, जो कि जांच प्रतिवेदन से प्रमाणित है।

अधिकारी एवं ठेकेदार के द्वारा शासकीय राशि का गबन करने के लिए दस्तावेजों में कूट रचना की गई और फर्जी दस्तावेज तैयार का शासकीय राशि आहरण किया गया जो कि साफ तौर पर एक आपराधिक कृत्य है।

 


एच एल शर्मा सहायक अभियंता के पद पर मूल रूप से पदस्थ थे लेकिन उनके द्वारा एवं अन्य अधिकारियों एवं ठेकेदार के साथ मिलकर संयुक्त रूप से मिलीभगत कर सर्वशिक्षा अभियान के तहत प्राथमिक एवं माध्यमिक शाला में विद्युतीकरण कार्य हेतु कुल 1005 शालाओं के लिए आवंटित राशि 3,01,50,000/- रुपए का फर्जी देयक तैयार किया गया और शासन को करोड़ों रुपए का क्षति पहुंचाया गया एवं बिना कार्य किए कार्य पूर्ण होना बताकर अधिकारियों के द्वारा ठेकेदार को राशि का भुगतान किया गया जो कि साफ तरीके से धोखाधड़ी, चीटिंग एवं फर्जीवाड़ा प्रमाणित है।

डीके सोनी अधिवक्ता के द्वारा उपरोक्त दस्तावेजों के आधार पर अधिकारी एवं ठेकेदार के विरुद्ध दिनांक 19 सितंबर 2022 को कोतवाली अंबिकापुर में कूट रचित दस्तावेजों के आधार पर शासकीय राशि का गबन करने के संबंध में अपराध अंतर्गत धारा 409, 419, 420, 467, 468, 471 भादवि के तहत पंजीबद्ध किए जाने का आवेदन प्रस्तुत किया गया था, लेकिन कोई अपराध दर्ज नहीं किया गया। 

इसके बाद 29 सितंबर 22 को पुलिस अधीक्षक सरगुजा के समक्ष भी आवेदन देकर प्रथम सूचना पत्र दर्ज किए जाने का निवेदन किया गया, लेकिन  करोड़ों के घोटाला करने वालों के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की गई। जिसके बाद 3 नवंबर 22 को धारा 156(3)दंड प्रक्रिया संहिता के तहत मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी अंबिकापुर के न्यायालय में परिवाद पेश किया गया, जिसमें 30 नवंबर को प्रकरण में सुनवाई करते हुए प्रस्तुत आवेदन धारा 156(3) का स्वीकार करते हुए 1 दिसंबर को थाना अंबिकापुर कोतवाली को ज्ञापन भेजकर उक्त मामले में संबंधित अधिकारियों और  ठेकेदार के विरुद्ध प्रथम सूचना दर्ज कर अंतिम प्रतिवेदन धारा 173 के तहत पेश करने का आदेश दिया है। 

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