गरियाबंद
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
भिलाई नगर, 6 दिसंबर। बीएसएफ ने 58वां स्थापना दिवस रिसाली स्थित महानिरीक्षक कार्यालय के प्रांगण में हर्षोल्लास के साथ धूमधाम से मनाया, जिसमें बीएसएफ के सीमान्त मुख्यालय के अधिकारी, अधीनस्थ अधिकारीगण, जवानों सहित प्रिंट तथा इलेक्ट्रॉनिक मीडिया कार्मिक उपस्थिति थे।
बीएसएफ के महानिरीक्षक इंदराज सिंह ने सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के 58वें स्थापना दिवस पर उपस्थित कार्मिकों को तथा उनके परिवारजनों को बीएसएफ स्थापना दिवस की बधाई एवं शुभकामनाएँ दी।
महानिरीक्षक ने आगे बताया कि 2009 में छत्तीसगढ़ में आंतरिक समस्या से जूझने के लिए सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) को कांकेर जिला में तैनात किया गया। कांकेर के अति बीहड़ों एवं दूरस्थ ग्रामीण तथा जंगली इलाके में बीएसएफ की टुकडिय़ाँ कठिनाईयों से लड़ते हुए तैनात हुई। धीरे-धीरे गांव वालों का भरोसा जीतने में बीएसएफ ने कामयाबी हासिल की फलस्वरुप लोगों के दिल में सुरक्षा की भावना बढ़ी है।
सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) जिला कांकेर के अतिसंवेदनशील इलाके में सरकार द्वारा किये जा रहे विकास कार्यों जैसे सडक़ निर्माण कार्य, माइनिंग प्रोजेक्ट, रेल प्रोजेक्ट तथा मोबाईल टॉवर निर्माण कार्यों में सुरक्षा प्रदान कर रही है। जहाँ बीएसएफ के जवान अपनी जान की बाजी लगाकर देश को नक्सल मुक्त बनाने में लगे हैं, वही दूसरी ओर समाज एवं प्रकृति के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाते हुए कांकेर के दूरदराज में फैले गांवों में गरीबों एवं विद्यार्थियों को जरूरत की चीजें मुहैंया कराना, गांव को गोद लेना, मुफ्त चिकित्सा सुविधाएँ प्रदान करना, बेरोजगार युवाओं को स्किल डेवलपमेन्ट प्रोग्राम के तहत रोजगार प्रशिक्षण देना, ट्राइबल यूथ प्रोग्राम के तहत आदिवासी बच्चों को भारत भ्रमण में ले जाना और प्रदेश की संस्कृति को देश के समक्ष रखना इत्यादि कार्य करके उनका जीवन स्तर बढ़ा रहे है।
नक्सली समस्या से लडऩे के लिये छत्तीसगढ़ में फ्रन्टीयर मुख्यालय स्पेशल आप्रेशन सीमा सुरक्षा बल की तैनाती एक सेक्टर एवं 6 बटालियन के साथ दिनांक 7 फरवरी 2013 को हुई थी। आज यहां एक फ्रंटियर, 2 सेक्टर एवं 8 बटालियन तैनात है। बीएसएफ ने छत्तीसगढ़ में अपने कठिन प्रयासो के फलस्वरूप कांकेर जिले में सक्रिय 106 हार्डकोर नक्सलियों को आत्मसमर्पण कराकर देश की मुख्यधारा में जोडऩे में अहम भूमिका निभाई है। 11 दुर्दान्त नक्सलियों को मार गिराया तथा 1082 नक्सलियों को गिरफ्तार किया और 543 से अधिक आईईडी (जिन्दा बम्ब) की बरामदगी कर सुरक्षा बलों एवं आम जनता को भारी नुकसान होने से भी बचाया है। इसके अलावा बीएसएफ ने छत्तीसगढ़ में नक्सल प्रभावित इलाके में कठिनाईयों से लड़ते हुए, 2013 एवं 2018 में छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव, 2014 एवं 2019 में लोकसभा चुनाव के दौरान नक्सलियों के किये गये विरोध के बावजूद बीएसएफ ने अतिसंवेदनशील नक्सल प्रभावित इलाके में शांतिपूर्ण मतदान कराने में कामयाबी हासिल की है।
मीडिया को संबोधित करते हुए महानिरीक्षक ने बीएसएफ के 58 वें स्थापना दिवस पर उन सभी जवानों को बधाईयाँ दी जो नक्सल प्रभावित इलाकों में डटे हैं और परिवार से दूर नक्सलियों से जूझ रहे हैं। वर्तमान में बीएसएफ ने नक्सलियों पर शिकंजा कसने के लिए आपरेशन तेज कर दिये है तथा नक्सलियों को मुख्यधारा मे लाने की कोशिश कर रही है।
अंत में महानिरीक्षक ने उपस्थित सभी कार्मिकों, बटालियनों के सभी बहादुर अधिकारियों, जवानों, उपस्थित भूतपूर्व बीएसएफ कार्मिकों, अन्य सुरक्षा बलों से आयें आगंतुको तथा प्रिंट एवं इलेक्ट्रानिक मीडिया से आये सभी सदस्यों को धन्यवाद दिया।
बीएसएफ का उदय:-
भारत पाकिस्तान की सीमाओं पर राज्य आर्म्ड पुलिस बल के द्वारा सुरक्षा प्रदान किया जाता था। जब दिनांक 9 अप्रैल 1965 को गुजरात के कच्छ के इलाके में पाकिस्तान की सेना द्वारा भारतीय सीमा की चौकियों पर हमला किया गया जिससे भारत सरकार ने पाकिस्तान से लगी सीमाओं की सुरक्षा के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षण प्राप्त किये एक अलग बल की स्थापना करने का निर्णय लिया, जिसके चीफ के रूप में श्री के एफ रूस्तमजी को जिम्मा दिया गया जिन्होने दिनांक 01 दिसंबर 1965 को विश्व के सबसे बड़ी सीमा सुरक्षा बल का गठन किया।
बीएसएफ भारत की पूर्वी सीमा पर बांग्लादेश बॉर्डर के साथ उत्तरी पूर्वी राज्यों में काउन्टर इंसर्जेंसी ऑपरेशन को भी अंजाम दे रही है तथा पश्चिमी सीमा पर अडिग एवं दृढ़ निश्चय के साथ रात दिन अपनी डयूटी कर रहा है। इसके अलावा देश के अन्दर होने वाले प्रकृतिक आपदायें, नक्सल समस्या, देश एवं विभिन्न राज्यों में होने वाले चुनाव के दौरान भारत सरकार द्वारा दी गयी हर जिम्मेदारी को दृढता के साथ निभाते हुए हर कदम पर अपनी वीरता का परिचय दिया है। बीएसएफ न सिर्फ देश के बाहरी दुश्मनों से लोहा लेती है बल्कि जरूरत पडऩे पर देश के भीतर घुसे देशद्रोहियों को भी कुचलने में अपनी जान की परवाह नहीं करता है।