कोरिया

90 लाख के गबन का आरोप, 2 अफसरों पर एफआईआर की मांग
08-Jan-2023 7:58 PM
90 लाख के गबन का आरोप,  2 अफसरों पर एफआईआर की मांग

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बैकुंठपुर (कोरिया), 8 जनवरी।
सरगुजा के आरटीआई कार्यकर्ता एएन पांडेय ने सिटी कोतवाली बैकुण्ठपुर में 90 लाख की शासकीय राशि के गबन का आरोप लगा कर सहायक आयुक्त आदिवासी विभाग और उप संचालक कृषि विभाग के खिलाफ एफआईआर करने की मांग की है, वहीं पुलिस ने शिकायत ले ली है और मामले की जांच उपरांत कार्रवाई करने की बात कही है।

इस संबंध में आरटीआई कार्यकर्ता ए एन पांडेय का कहना है कि जब मुझे 90 लाख के घोटाले का पता चला तो मैंने परियोजना प्रशासक आदिवासी विभाग में आरटीआई के तहत जानकारी मांगी, विभाग ने कृषि विभाग को 90 लाख का आबंटन का आदेश दिया और कृषि विभाग को उक्त राशि के खर्च का ब्यौरा देने को कहा, 90 लाख रू गया कहां, ये कोई नहीं बता रहा है, मैंने पुलिस में शिकायत की है।

वहीं सिटी कोतवाली प्रभारी अश्विनी सिंह का कहना है कि शिकायत मिली है जांच कर कार्रवाई की जाएगी। दरअसल, केंद्र सरकार द्वारा स्थानीय नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी अवधारणा सहित छत्तीसगढ़ के टीएसपी क्षेत्रों में जनजातीय कृषि प्रणालियों का पुनरूद्धार, मिलेट रिजूविनेशन प्रोजेक्ट के लिए 90 लाख रुपये का आबंटन किया गया था। राशि कोरिया जिले के आदिवासी विभाग के परियोजना प्रशासक के पास आई और उन्होंने 90 लाख का आबंटन उप संचालक कृषि विभाग को किया। 

घोटाले की जानकारी मिलने पर आरटीआई कार्यकर्ता ए एन पांडेय ने आदिवासी विभाग से जानकारी की मांग की। आदिवासी विभाग ने उप संचालक कृषि विभाग को उनके द्वारा दिये 90 लाख रुपये की जानकारी देने के लिए पत्र लिखा। 

वहीं कृषि विभाग के उप संचालक ने आदिवासी विभाग के पत्र का जवाब देते हुए आरटीआई कार्यकर्ता ए एन पांडेय को पत्र लिख कर बताया कि इस तरह की कोई योजना ही संचालित नहीं है, साथ ही एक पत्र भी जारी कर दिया, 90 लाख रुपये आखिर गए कहाँ, जिसके बाद उन्होंने पुलिस से मामले की शिकायत कर दोनों अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की है। 

गौरतलब है कि इस योजना का उद्देश्य था कृषि विभाग से प्राप्त प्रस्ताव को ध्यान में रखते हुए स्वीकृति अनुसार 85 आदिवासी विकासखण्ड में योजना संचालित की जानी थी। योजना अंतर्गत प्रति विकासखण्ड 18.00 लाख स्वीकृति देय होगी। 

कृषि विभाग के प्रस्ताव को ध्यान में रखते हुए प्रथम वर्ष 16500 प्रति हेक्टेयर की मान से प्रति आदिवासी विकासखण्ड 109 हेक्टेयर रकबे में यह योजना संचालित की जानी थी। आदिवासी कृषकों का चयन चिन्हांकित स्थानीय कृषि विभाग द्वारा योजना संचालित की जानी थी।

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