कवर्धा

दीपक माग्रे
चिल्फी घाटी, 8 जनवरी (‘छत्तीसगढ़’)। मिनी कश्मीर के नाम से प्रसिद्ध चिल्फी घाटी इन दिनों कड़ाके की ठंड चपेट में आ गया है।
छत्तीसगढ़ की सीमा पर बसी गांव शंभू पीपर से लेकर रेंगाखार पूरे 100 किलोमीटर की दूरी में साल वृक्षों की सघनता एवं सतपुड़ा पर्वत के मैकल श्रेणियों से घिरे चिल्फी घाटी में हर वर्ष दिसंबर-जनवरी के महीने में मध्यरात्रि से गिरने वाली ओस की बूंदे तापमान 4 से 5 डिग्री पहुंचने के पश्चात ओस की बूंदे जमने लगती है सुबह 5 से 6 बजे तक ओस की बूंदे बर्फ की सफेद चादर बिछी दिखाई देने लगती है।
यह नजारा घास की घरेलू वाला घर धान की पैरावट सूखी घास हरे पेड़ की पत्तियों में गाडिय़ों के शीशे में गाडिय़ों के ऊपर जमे हुए देखे जा सकते हैं।
सीजन का 6 जनवरी सबसे ठंडा दिन रहा। इस दिन तापमान 4 डिग्री तक पहुंच गया। वनांचल क्षेत्र के शंभू पीपर ग्राम पंचायत से लेकर बोक्करखार, राजाढार, अकल घरिया, बेंदालूप, सालेवारा शिवनी कला, दलदली, चेंंदरा दादर, झलमला जंगल, शीतल पानी, समनापुर जंगल, बरबसपुर जंगल से लेकर रेंगाखार पूरा अंचल ठंड की चपेट में आ गया है।
सभी जगहों पर ओस की बूंदे जमने का सिलसिला लगातार जारी है. क्षेत्र में लगे रबी फसल जिसमें आलू, मटर, अरहर, गोभी, टमाटर जैसे फसलों के लिए घातक साबित हो रहा है। लोग गांव में अलाव जलाकर ठंड से बचाव कर रहे हैं। शाम 5 बजते ही अंचल में सन्नाटा छा जाता है। घरों व सार्वजनिक जगह पर अलाव जलना शुरू हो जाता है हाड़ कंपकंपा देने वाली ठंड में ज्यादातर बच्चे-बूढ़े के स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ रहा है।