महासमुन्द

मूलधर्म में लौटे लोगों ने कहा-भटक गए थे, इसलिए धर्म छोड़ दिया था
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
पिथौरा, 20 जनवरी। समीप के बसना में गुरुवार को ऑपरेशन घर वापसी के संयोजक प्रबल प्रताप सिंह जूदेव की उपस्थिति में कोई एक हजार से अधिक धर्म बदल चुके हिंदुओं ने अपने मूल धर्म में वापसी की। श्री प्रबल प्रताप सिंह दिवंगत भाजपा नेता दिलीप सिंह जूदेव के पुत्र है, जो कि अपने पिता के ऑपरेशन घर वापसी कार्यक्रम को आगे बढ़ा रहे हैं।
गुरुवार को बसना में नीलांचल सेवा समिति द्वारा आयोजित भागवत गीता ज्ञान यज्ञ सप्ताह के कार्यक्रम स्थल पर क्षेत्र के कोई एक हजार से अधिक धर्म परिवर्तन करने वाले ग्रामीण एकत्र थे। यहां आयोजित श्रीमद भागवत कथा के तीसरे दिन कथा स्थल में घर वापसी कार्यक्रम संयोजक प्रबल प्रताप सिंह जूदेव, संपत अग्रवाल, आचार्य राकेश, कपिल शास्त्री, तारा कांत प्रधान,चतुर्भुज आर्य, वासुदेव शास्त्री,घनश्याम द्वीप, रामचंद्र अग्रवाल, प्रद्युमन सिंह के द्वारा बुलंदशहर उत्तर प्रदेश के पंडित हिमांशु कृष्ण भारद्वाज महाराज के उपस्थिति में कोई1000 से अधिक लोगों की घर वापसी तांबे के पात्र में गंगा जल डाल कर पैरों को धुलवा कर करवाई गई। घर वापसी करने वाले लोगों को पंडित हिमांशु कृष्ण महाराज ने हिंदू धर्म की शपथ दिलाई,साथ ही उन्होंने कहा कि आज से आप सनातनी हैं।
हवन पूजन एवं पैर धुलवा कर घर वापसी
दशहरा मैदान में कराये गए उक्त कार्यक्रम में हिंदू रीति रिवाज के साथ हवन पूजन, शुद्धिकरण कराया गया। दिवंगत जूदेव के पुत्र प्रबल प्रताप सिंह द्वारा इन्हें हिन्दू धर्म अपनाने के लिए शपथ दिलाई गई। इसके पश्चात् पंडितों ने मंत्र उच्चारण करते हुए सैकड़ों हिंदुओं की घर वापसी कराई।
भटक गए थे इसलिए धर्म छोड़ा
ईसाई धर्म से वापस हिन्दू बने लोगों ने चर्चा में बताया कि वे सभी भटक गए थे, इसलिए उन्होंने अपने धर्म को छोड़ दिया था,लेकिन जब उन्हें अपनी गलती का एहसास हुआ तब वे वापस हिन्दू धर्म में आ गए।
प्रबल प्रताप सिंह जूदेव ने अपने संबोधन में कहा कि इस कार्यक्रम के दौरान हमारे सनातन धर्म से जो अनेकों ग्रामों के लगभग 325 परिवारों के करीब 1100 लोग बिछड़ गए थे उन्हें पुन: सनातन धर्म में वापसी कराया गया, मेरे पितादिलीप सिंह जूदेव के नेतृत्व में जो यह घर वापसी अभियान की शुरुआत की गई थी, उसे हम सब मिलकर आगे बढ़ा रहे हैं, हिन्दू बचाना, हिन्दू बनाना मंदिर बनाने से भी बहुत बड़ा कार्य है। हिन्दूत्व राष्ट्रीयता का प्रतीक है।