बेमेतरा

निजी अस्पताल में जिला प्रशासन की टीम ने दी दबिश, मिली गड़बडिय़ां, नोटिस जारी
21-Jan-2023 3:07 PM
निजी अस्पताल में जिला प्रशासन की टीम ने दी दबिश, मिली गड़बडिय़ां, नोटिस जारी

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा, 21 जनवरी।
शहर के रायपुर मार्ग स्थित एके मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल में बेमेतरा एसडीएम सुरुचि सिंह औचक निरीक्षण पर पहुंची। निरीक्षण के दौरान जिला प्रशासन की टीम को भारी गड़बडिय़ां मिली। इस संबंध में एसडीएम ने अस्पताल के डायरेक्टर डॉ. प्रवीण साहू को कड़ी फटकार लगाने के साथ व्यवस्था में सुधार के निर्देश दिए हैं। गौरतलब हो कि एके मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल समेत अन्य अस्पतालों को सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में पदस्थ आरएमए एवं डॉक्टर संचालित कर रहे हैं।

जिन पर समय-समय पर पदस्थ स्वास्थ्य केंद्रों में पहुंचे मरीजों को अपनी प्राइवेट अस्पताल में रेफर किए जाने के आरोप लगते रहे हैं। उल्लेखनीय है कि कलेक्टर जितेंद्र शुक्ला को जिला मुख्यालय में संचालित प्राइवेट अस्पतालों में तय मानकों के उल्लंघन की लगातार शिकायत मिल रही थी। कलेक्टर के निर्देश पर यह कार्रवाई की गई है। अस्पताल प्रबंधन को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया जाएगा।

लगातार कार्रवाई के बावजूद सुधार नहीं
एके हॉस्पिटल में जिला प्रशासन टीम की यह तीसरी कार्रवाई है। पहली कार्रवाई कोरोना मरीजोंं से अनाप-शनाप फीस वसूलने की शिकायत पर हुई थी। दूसरी कार्रवाई में अस्पताल संचालक पर नक्सली का इलाज करने के आरोप लगे थे और अस्पताल मेंं इलाज कराते 25 लाख के इनामी नक्सली को पकड़ा गया था। शुक्रवार को तीसरी बार जिला प्रशासन की टीम औचक निरीक्षण पर पहुंची, जहां भारी गड़बडिय़ां मिली।

सुविधाएंं सिर्फ कागजों तक सीमित
जिला मुख्यालय में संचालित सभी प्राइवेट हॉस्पिटल आवासीय और कमर्शियल परिसर में खोले गए हैं। यहां अस्पताल संचालन में नर्सिंग होम एक्ट समेत अन्य नियमों का खुला उल्लंघन किया जा रहा है। सरकारी अस्पतालों में पदस्थ सरकारी स्वास्थ्य कर्मी ज्यादातर प्राइवेट अस्पतालों का संचालन कर रहे हैं। इन प्राइवेट अस्पतालों में इलाज के नाम पर लूट मचा रखी है। बेहतर सुविधा उपलब्ध कराने के नाम पर प्राइवेट अस्पताल प्रबंधन मरीजों के साथ धोखा कर रहे रहे है। दावों के विपरीत उपलब्ध सुविधाएंं सिर्फ कागजों तक सीमित है।

विशेषज्ञ उपलब्ध नहीं
प्राइवेट हॉस्पिटल में इलाज के नाम पर सोनोग्राफी, सिटी स्कैन, विशेषज्ञों की उपलब्धता समेत अन्य सुविधाएं मुहैया कराने का दावा किया जाता है, जो बकायदा अस्पताल के साइन बोर्ड में दर्शाया जाता है। जबकि धरातल पर परिस्थितिया इसके विपरीत है। पूरे जिले भर से मरीज बेहतर इलाज के लिए जिला मुख्यालय पहुचते है, लेकिन प्राइवेट अस्पतालों में सुविधाओं के नाम पर सिर्फ कागजी दावे है, जो मरीजो के साथ धोखा है।

नर्सिंग होम एक्ट के तहत लाइसेंस
नर्सिंग होम एक्ट के तहत पंजीयन के लिए संबंधित संस्थान को मेडिकल वेस्ट डिस्पोजल, फायर सेफ्टी सिस्टम की सुविधा होने का प्रमाण पत्र, मान्यता प्राप्त डॉक्टर का प्रमाण पत्र, नर्सिंग होम खोले जाने वाले स्थान का पता के साथ निर्धारित की गई राशि का चेक आवेदन के साथ संलग्न करना होता है। इन सभी मापदंड को पूरा करने के बाद संस्थान एक्ट के तहत पंजीयन के लिए ऑनलाइन आवेदन करते हैं। अस्थाई पंजीयन के बाद प्रशासन की टीम एक्ट के मापदंडों के तहत जांच के लिए संबंधित संस्थान पहुंचती है। यहां निरीक्षण के दौरान पाई गई कमियों को दूर करने के लिए 6 माह का समय दिया जाता है। समय सीमा में कमी दुरुस्त होने के बाद ही जिला स्वास्थ्य विभाग की ओर से स्थाई लाइसेंस जारी किया जाता है।  

सिर्फ कागजों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की उपलब्धता
ज्यादातर प्राइवेट हॉस्पिटल नर्सिंग होम एक्ट की नियम और शर्तों को पूरा करने की स्थिति में है। क्योंकि दस्तावेजों में जिन सुविधाओं का दावा किया जाता है, वास्तव में वे सुविधाएं अस्पताल में उपलब्ध नही है। कहीं पर पार्किंग नहीं है, तो कहीं बिना फार्मासिस्ट के दवाई बिक रहीं हैं तो कहीं सिर्फ कागजों में ही विशेषज्ञ चिकित्सक हैं। गौरतलब हो कि नर्सिंग होम एक्ट के तहत मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय को पंजीयन के लिए 300 से अधिक आवेदन जिले भर से हुए थे, लेकिन विभाग की ओर से 70 से अधिक स्वास्थ्य संस्थानों को पहले अस्थाई और बाद में स्थाई लायसेंस जारी किया गया।

फायर सेफ्टी सिस्टम को नजरअंदाज कर रहे अधिकारी
कई प्राइवेट अस्पताल रातोरात खोले गए। जहां नियमों को ताक पर रखा गया। फायर सेफ्टी सिस्टम की ओर ध्यान नहीं दिया गया है। ऐसे में विपरीत परिस्थिति में मरीजों के निकासी की व्यवस्था नहीं है। जिला मुख्यालय में संचालित ज्यादातर प्राइवेट अस्पतालों में फायर सेफ्टी सिस्टम नहीं लगाए गए हैं। इस तरह की गंभीर कमियों को जिला स्वास्थ्य विभाग व प्रशासन की ओर से नजरअंदाज किया जा रहा है।  प्रशासन को किसी बड़े हादसे का इंतजार है।

एके हॉस्पिटल के निरीक्षण
में मिली यह गड़बडिय़ां
हॉस्पिटल में ड्यूटी में रहने वालों की डॉक्टरी की सूची नहीं पाई गई। मरीजों के इलाज की पंजी का संधारण नहीं किया जाना पाया गया। आईसीयू में बैड के बीच की दूरी उचित मापदंडों के तहत नहीं पाई गई। प्रथम तल पर स्थित आईसीयू में मरीजों के लिए प्रसाधन की सुविधा नहीं होना पाया गया। भरी हुई ऑक्सीजन सिलेंडर के पास पानी गर्म करने का इंडक्शन की मशीन का उपयोग किया जाना पाया गया। जो काफी खतरनाक है। सरकारी स्वास्थ्य केंद्र कुसमी में पदस्थ चिंता राम साहू ऑन ड्यूटी आवर में एके अस्पताल में उपस्थित मिला। पूछताछ में जवाब संतोषजनक नहीं मिला। बीमारियों के इलाज की दर की सूची का चस्पा नहीं मिली। स्त्री रोग विशेषज्ञ को अस्पताल उपस्थित नहीं होना पाया गया। एमडी पैथोलॉजिस्ट मृत्युंजय सराफ की उपस्थिति पंजी में हस्ताक्षर नहीं होना पाया गया। जबकि उनके हस्ताक्षर से पैथो रिपोर्ट नियमित जारी किया जा रहा है। सोनोग्राफी की सुविधा के बावजूद रेडियोलॉजिस्ट नहीं होना पाया गया। फार्मेसी का लाइसेंस महिला के नाम पर है, जहां अन्य को मेडिकल संचालित करना पाया गया।
इन सम्पूर्ण घटना पर कलेक्टर जितेन्द्र कुमार शुक्ला ने कहा कि नर्सिंग होम एक्ट के मापदंडों के तहत निजी अस्पतालों की जांच के लिए ब्लाक व जिला स्तर पर टीम गठित है। प्राइवेट अस्पताल प्रबंधन अस्पताल संचालन में तय मानकों का पालन कर मरीजों को बेहतर सुविधा दें अन्यथा यह कार्रवाई लगातार जारी रहेगी।

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