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महासमुंद जिले के दुर्गम इलाकों में भी जारी है हाट-बाजार क्लीनिक, साढ़े 9 माह में पौने 3 लाख लोगों को लाभ मिला
22-Jan-2023 2:44 PM
महासमुंद जिले के दुर्गम इलाकों में भी जारी है हाट-बाजार क्लीनिक, साढ़े 9 माह में पौने 3 लाख लोगों को लाभ मिला

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 22 जनवरी।
महासमुंद जिले के गांवों में सप्ताह में एक दिन बाजार होता है। यहां गांव के लोग साग भाजी के अलावा दिनचर्या के सारे सामान खरीदते हैं। इससे इतर अब इन बाजारों में उनके लिए अस्पताल की तरह व्यवस्था भी उपलब्ध है जिसे हाट-बाजार में क्लिनिक का नाम दिया गया है। यहां ग्रामीणों के स्वास्थ्य की जांच होती है, दवाईयां दी जाती है और वहां उपलब्ध डाक्टरों द्वारा उन्हें बीमारियों से बचने के तरीके भी बताए जाते हैं। सामान्य तौर पर लोग अब बाजार जाते वक्त अपनी सेहत के बारे में जानकारी लेने भी जाने लगे हैं। वैसे भी बाजारों में लोग दिनचर्या के सामान खरीदाने जाते ही हैं। इस तरह दुर्गम इलाकों में रहने वाले ग्रामीणों के लिए मुख्यमंत्री हाट बाजार क्लिनिक किसी देवालय से कम नहीं है। बीते साढ़े 9 माह में 2 लाख 60 हजार से अधिक लोगों के स्वास्थ्य की जांच एवं इलाज किया गया है।

इस तरह साप्ताहिक हाट बाजारों में चिकित्सक, पैरा मेडिकल टीम स्वास्थ्य शिविर लगाकर स्वास्थ्य उपचार कर रहे हैं। जिले में लगाये जा रहे हाट-बाजार में लगाए गए स्वास्थ्य शिविरों में मलेरिया, फाइलेरिया, टीबी, डायरिया, कुपोषण, एनीमिया, सिकल सेल, ब्लड प्रेशर,डायबिटीज के साथ ही गर्भवती महिलाओं के ब्लड प्रेशर, हीमोग्लोबिन के अलावा गर्भधारण परीक्षण भी किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त चर्म रोग और एचआईवी की भी जांच की जा रही है। बाजार गए लोग दिनचर्या के सामानों के साथ अपनी सेहत की दवाईयां भी साथ लेकर घरों को लौटते हैं।

बताना जरूरी है कि जिले की विषम भौगोलिक परिस्थितियों में बहुत से ऐसे इलाके हैं, बहुत से गांव हैं, जहां से निकलकर जिला मुख्यालय तक की दूरी तय कर इलाज के लिए अस्पताल आना बेहद कठिन है। ऐसे ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों को सबसे ज्यादा दिक्कत स्वास्थ्य संबंधी सेवाओं को लेकर होती थी। यहां प्रत्येक दिन मलेरिया से लेकर दूसरी अन्य बीमारियां लोगों को अपनी चपेट में ले लेती है। गर्भवती महिलाओं के लिए इन इलाकों से निकलकर अस्पताल आना सबसे कठिन काम होता था। लेकिन इस योजना से ग्रामीणों को लाभ हुआ है।

जरूरतमंद ग्रामीणों को अधिक से अधिक लाभ हो, इसके लिए समय-समय पर जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग द्वारा नुक्कड़ नाटक, कलाजत्था के माध्यम से स्थानीय भाषाओं में शिविर के बारे में लोगों को जानकारी देकर जन जागरूकता निर्मित की जाती है। कोरोना काल के चलते चिकित्सकों, स्वास्थ्य कर्मी इस महामारी से लोगों के स्वास्थ्य रक्षा में लगे होने एवं लॉकडाउन के कारण इस योजना पर भी असर पड़ा।

महासमुंद जिले के विकासखंड बागबाहरा के अंतर्गत आने वाले ग्राम चुरकी, खट्टी, तुसदा आदि के साप्ताहिक हाट-बाजार में आये ग्रामीणों से बात करने पर उन्होंने बताया कि शासन की यह योजना बहुत ही फायदेमंद है। इस योजना के बारे में ग्रामीणों ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि अब हमारे स्वास्थ्य की जिम्मेदारी सरकार ने खुद उठा ली है। परिवार के सदस्यों को भी स्वास्थ्य जांच के लिए बाजार में लगे हाट-बाजार में भी लाते हैं। हाट-बाजार में नियमित क्लिनिक लगने से अब पहले की अपेक्षा भी बढ़ी है। ग्रामीण अपनी दैनिक उपयोग की सामग्री क्रय करने हेतु साप्ताहिक बाजार में आते हैं। जहां खरीदी के साथ-साथ वे अपने स्वास्थ्य की भी जांच करवा लेते हैं।

मालूम हो कि मुख्यमंत्री हाट-बाजार क्लिनिक योजना मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने महात्मा गांधी की 150वीं जयंती 2 अक्टूबर 2019 को प्रदेश भर में यह योजना लागू की है। इस योजना में स्वास्थ्य अमला हाट.बाजारों में शिविर लगाकर लोगों का इलाज करने के साथ ही नि:शुल्क दवाईयां भी उपलब्ध कराते हैं। इससे ग्राम के ही नजदीक ग्रामवासी अपने स्वास्थ्य का परीक्षण और उपचार कराते हैं।

महासमुंद जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एस आर बंजारे ने बताया कि कोरोना काल के चलते पहले महासमुंद जिले के 15 हाट.बाजारों में क्लिनिक का संचालन किया जा रहा था। लेकिन कोरोना की तीव्रता कम होने के साथ-साथ दूरस्थ अंचलों में लगने वाले साप्ताहिक हाट बाजारों सहित शिविरों की संख्या बढ़ती-घटती रहती है। वर्तमान में जिले के 84 हाट बाजारों में मुख्यमंत्री हाट बाजार क्लिनिक योजनांतर्गत स्वास्थ्य शिविर लगाकर स्वास्थ्य परीक्षण किया जा रहा है। इस योजना का उद्देश्य स्वास्थ्य लाभ पहुंचाना, गर्भवती महिलाओं का पंजीयन, प्रसवपूर्व संपूर्ण जांच एवं पूर्ण टीकाकरण सहित बीपी, शुगर,मलेरिया, जांच किट के माध्यम से पैथोलॉजी जांच, नेत्र जांच, जागरूकता के अभाव में होने वाले अकाल मृत्यु को रोकना, मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाना, कुपोषण दर कम करना आदि है।    

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