रायपुर

लेटर टू माई किड्स किताब के विमोचन कार्यक्रम में हुईं शामिल
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 23 जनवरी। राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके डॉक्टर कीर्ति सिसोदिया की लिखी किताब ‘‘लेटर टू माई किड्स‘‘ के विमोचन कार्यक्रम में शामिल हुईं। उन्होंने डॉक्टर कीर्ति का अभिवादन करते हुए किताब लेखन के उनके उद्देश्य की सफलता के लिए शुभकामनाएं दी। राज्यपाल ने किताब के विषय वस्तु का उल्लेख करते हुए, अपने बचपन के दिनों को याद किया। साथ ही उन्होंने संयुक्त परिवार की महत्ता बताते हुए, प्राचीन भारतीय परंपरा, सांस्कृतिक और सामाजिक मूल्यों को बच्चों की परवरिश और बेहतर समाज निर्माण के लिए महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में किस कदर बाल्यवस्था के चंचलता भरे जीवन पर तकनीक हावी हो चुकी है। उन्होंने बचपन पर मोबाईल, लैपटाप जैसे तकनीकी यंत्रों के दुष्प्रभाव को भी रेखांकित किया और कहा कि इसके नकारात्मक प्रभावों से बचाते हुए, बच्चों के बेहतर शिक्षा और मानसिक विकास के लिए इसके सदुपयोग को बढ़ावा दें।
राज्यपाल सुश्री उइके ने कहा कि डॉ. कीर्ति ने एक महिला के रूप में जीवन के विभिन्न पड़ावों से गुजरते हुए अपने अनुभवों, ममत्व की सुखद अनुभूति, वेदना, व्याकुलता, उल्लास और गर्भ से लेकर मातृत्व की प्राप्ति तक के सफर की शाब्दिक अभिव्यक्ति के रूप में इस किताब को प्रस्तुत किया है। उन्होंने किताब के विभिन्न प्रसंगो का उल्लेख करते हुए, लेखिका के अनुभवों को महत्वपूर्ण बताया और अभिभावकों से किताब पढऩे का आग्रह किया। राज्यपाल ने कहा कि बच्चों को बड़ा होता हुआ देख डॉक्टर कीर्ति अपना बचपन दोबारा जीने की बात किताब में करती है और अपने बच्चों को इसके लिए धन्यवाद देती है।
राज्यपाल ने कहा कि मां के संदर्भ में अनेकों रचनाएं सहज उपलब्ध है, जो उनकी श्रेष्ठता का बोध कराता है। लेकिन यह किताब केवल एक मां के भावनाओं की शाब्दिक अभिव्यक्ति मात्र नहीं है बल्कि डॉक्टर कीर्ति ने इसमें अपनी यात्राओं, संघर्ष, उपलब्धियां, खुशी के छोटे-बड़े अवसरों को संवेदना के साथ प्रस्तुत किया है।
इस अवसर पर पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा कि यह किताब निश्चित रूप से पाठकों को अपने भूल की ओर ध्यान आकर्षित करेगा। साथ ही इस किताब की सफलता कि लिए उन्होंने लेखिका को शुभकामनाएं दीं।
लेखिका डॉ. कीर्ति सिसोदिया ने कहा कि हर माता-पिता और बच्चों का संबंध विशेष होता है। उन्होंने माता-पिता और बच्चों के बीच संवाद को उनके रिश्तों की प्रगाड़ता के लिए आवश्यक बताया। साथ ही उन्होंने कहा कि हमें बच्चों को इतना यकीन दिलाना हेगा ताकि वे अपनी मन की बात हमें बेखौफ और खुलकर बता सकें। बच्चों को यह बात हमें अवश्य समझानी चाहिए कि जीवन में आप बहुत बड़ा काम करो न करो परंतु आप अपने आत्मसम्मान को हमेशा जीवित रखो। शिक्षाविद् जवाहर सुरी शेट्टी ने भी किताब के महत्वपूर्ण बातों को रेखांकित करते हुए कहा कि बच्चों के बेहतर जीवन के लिए यह पुस्तक अच्छा संदेश देती है।
इस अवसर पर श्रीमती वीणा सिंह, अभिषेक सिंह, श्रीमती ऐश्वर्या सिंह, हिमांशु द्विवेदी एवं डॉ विक्रम सिसोदिया, समाज के गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।